भवन निर्माण अनुमति के काम में फंसा पेंच
आमजन को मकान बनाने की अनुमति की प्रक्रिया सरल करने की कवायद नक्शेबाजी और जिम्मेदारी के पेंच में उलझ गई है। एक मई से नगर निगम 3200 वर्गफीट यानी 300 मीटर तक के क्षेत्रफल पर भवन निर्माण की अनुमति देने का जिम्मा निजी आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चरल इंजीनियरों को सौंपना तय कर चुका है, लेकिन वे इस जिम्मेदारी को लेने को तैयार नहीं हैं। एक मई को महज 13 दिन ही रह गए हैं, एेसे में इंजीनियर्स को मनाने की आखिरी कोशिश 23 अप्रैल को की जाएगी।आमजन को आर्किटेक्ट-स्ट्रक्चरल इंजीनियर से निर्माण अनुमति दिलाने दिसंबर 2015 से ही कवायद की जा रही है। इसके लिए बीते चार माह में अब तक तीन बैठकें भी की जा चुकी, लेकिन एक ही सवाल पर आकर मामला अटक रहा है। मॉनिटरिंग कैसे होगी? आर्किटेक्ट-स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स का कहना है कि वे नक्शा बना देंगे, लेकिन मॉनिटरिंग कैसे करेंगे? नई योजना में स्थिति यह है कि अनुमति की अंतिम साइन तो संबंधित निगमाधिकारी ही करेगा, लेकिन यदि निर्माण मंे कोई गड़बड़ होगी तो उसकी सूचना देने से लेकर परमिशन रद्द कराने की कवायद आर्किटेक्ट-इंजीनियर को करना होगी। यदि वे एेसा नहीं कर पाए तो उनका लायसेंस रद्द कर दिया जाएगा, इसीलिए निगरानी मंजूर नहीं है।नगर निगम इसलिए झाड़ रहा पल्ला-अवैध निर्माण पर लगाम नहीं-बिल्डिंग परमिशन से जुड़े इंजीनियर-अधिकारियों की बिल्डर से मिलीभगत के बढ़ते मामले-बिना कोई अतिरिक्त खर्च किए, आर्किटेक्ट-इंजीनियरों से करवा सकेंगे कामआर्किटेक्ट- इंजीनियर इसलिए नहीं लेना चाहते जिम्मा-तय नक्शे के अनुसार निर्माण हो रहा है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए संसाधन नहीं-अभी नक्शा बनाने के बाद क्लाइंट के चाहने पर साइट इंसपेक्शन की फीस ली जाती है, नए में इंस्पेक्शन मजबूरी होगा।-हर परमिशन पर सजग रहना होगा, एेसा नहीं हुआ तो निगम से नोटिस के साथ ही कानूनी कार्रवाई में उलझने का डर।नक्शा बनाएंगे, जिम्मेदारी नहीं लेंगे स्ट्रक्चरल इंजीनियर एसोसिएशन के सचिव राजनाथ पाल कहते हैं बिल्डिंग परमिशन के काम में हमारी बिल्कुल भी रुचि नहीं है। निगम अपनी जिम्मेदारी से भागना चाहता है और कार्रवाई का मौका आए तो हम पर आरोप रख दें। एेसा नहीं होगा।आर्किटेक्ट शैलेंद्र बागरे का कहना है निगम के साथ ही नगरीय प्रशासन और टीएंडसीपी अधिकारी भी बैठक कर चुके हैं, लेकिन मामला मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी पर ही अटक रहा है। शहर में 90 फीसदी भवन निर्माण अनुमति से उलट बनते हैं, एेसे में हम कैसे इसे रोक पाएंगे।नगरनिगम कमिश्नर छवि भारद्वाज का कहना है दिसंबर 2015 का आदेश है इस योजना को लागू करने का। अब अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता। हमने सबकी समस्याओं को सुनने और प्रक्रिया को सरलीकरण करने 23 को सबको बुलाया है। कोई बड़ा मुद्दा नही है, हल निकल जाएगा।