वन विहार पहुंचे बांधवगढ़ से लाए गए दो बाघ शावक
भोपाल। बांधवगढ़ से लाए गए दो बाघ शावक बुधवार देर रात करीब 1.00 बजे राजधानी स्थित वन विहार नेशनल पार्क पहुंच गए हैं। इन शावकों में से एक नर और एक मादा है तथा दोनों एक ही बाघिन टी-20 की संतान हैं।
भोपाल वन विहार के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता के नेतृत्व में पांच सदस्यीय दल इन शावकों को लाने के लिये बांधवगढ़ गया था। यह टीम बुधवार देर रात दोनों शावकों को लेकर वन विहार पहुंच गई। इन शवकों के आने से वन विहार में बाघों की संख्या बख्या बढ़कर 12 हो गई है। दोनों शावक स्वस्थ हैं और फिलहाल इन्हें क्वारेंटाइन में रखा गया है। वन विहार के असिस्टेंट डायरेक्टर ए.के.जैन ने बताया कि सफर की थकान और निवास स्थान बदलने के कारण दोनों शावकों को पूरी तरह सामान्य होने में एक-दो दिन का समय लग जाएगा। टाइगर रिजर्व से 2 बाघ (एक नर और एक मादा) शावक बुधवार को दोपहर में भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क लाए गए हैं। दोनों बाघ शावक 2 साल 3 माह की उम्र के हैं और एक ही मां की संतान हैं। बाघ शावकों के आने के बाद वन विहार में बाघों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
शिकार करने में नहीं हैं सक्षम
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, उमरिया से लाए गए इन बाघ शावकों की मां बाघिन टी-20 की मृत्यु हो जाने के कारण 2017 में दोनों शावकों को रेस्क्यू कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व लाया गया और यहीं रखकर उनकी परवरिश की गई है। विशेषज्ञों के परीक्षण में दोनों शावकों को प्राकृतिक परिवेश और रहवास में पुर्नस्थापित करने योग्य नहीं पाए जाने के कारण वन विहार भेजने का निर्णय लिया गया है। दोनों ही शावक नैसर्गिक रूप से शिकार करने में फिलहाल सक्षम नहीं पाए गए हैं।
डिस्पले में रखे जाएंगे दोनों शावक
वन विहार के असिस्टेंट डायरेक्टर ए.के.जैन ने बताया कि दो साल, तीन माह उम्र के दोनों शावकों को फिलहाल क्वारेंटाइन में ही रखा जाएगा, ताकि वे यहां के वातावरण से अनुकूलन कर लें। इसके बाद इन्हें वन विहार के डिस्प्ले में रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि चूंकि दोनों ही शावक अपने दम पर शिकार करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए इन्हें जंगल में छोड़े जाने की संभावना नहीं के बराबर है। उन्होंने बताया कि फिलहाल दोनों शावकों का नामकरण नहीं किया गया है।