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मौसम का मिजाज बदला गरज के साथ झमाझम बारिश
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अनूपपुर। बंगाल की खाड़ी में बनी हवाओं के दबाव में शनिवार को मौसम का मिजाज एक बार फिर बदला, जहां जिले के समस्त हिस्सों में झमाझम बारिश हुई। दोपहर बाद सावन की झड़ी के समान शाम तक बरसती रही। इस दौरान आसमान काले बादलों की चादर में सिमटा रहा और सूर्यदेव बादलों की ओट में जा छिपे। बारिश के कारण दिन के तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 26 डिग्री से 16 डिग्री सेल्सियस पर आ पहुंचा, वहीं रात के समय न्यूनतम तापमान में भी हल्की गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने सम्भावना जताई  है कि अभी एकाध दिन और बारिश की बौछार धरती को सराबोर करेगी। यह बारिश जिले के समस्त हिस्सों अनूपपुर, कोतमा, पसान, बिजुरी और अमरकंटक सहित ग्रामीण अंचलों में एक सामान्य रूप में वर्षा रही।

वहीं जैतहरी में ओले गिरने की जानकारी मिली है। शहरी क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचलों में जनजीवन प्रभावित रहा। बारिश के कारण खेतों में नमी बनी आई है। कृषि विभाग ने शनिवार को हुई बारिश को रबी फसलों के लिए फायदेमंद बताया है। लेकिन तेज बारिश के दौरान ऐसी फसलें जो विलम्ब से बुवाई की गई है तथा उनमें फूल आ रहा हो को नुकसान होने की बात कही है। विभाग के अनुसार दलहनी फसल मसूर में फूल आने के कारण नुकसान होने की आशंका जताई गई है।
 
अधीक्षक भू-अभिलेख विभाग अधिकारी एसएस मिश्रा ने बताया कि बारिश से 22 फरवरी की शाम तक जिले में अनुमानित औसत बारिश 12-15 मिमी की सम्भावना जताई गई है। बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दवाब के कारण यह बारिश होना माना गया है। इसमें मौसम विभाग ने एक-दो दिनों तक बारिश होने की आशंका जताई है। प्रदेश के अनेक जिलों में जोरदार बारिश के संकेत हैं। वहीं अधिकारी ने बताया कि मौसम के बदले मिजाज से बारिश एकाध दिन और होगी। बारिश के कारण हवाओं में नमी अधिक बढ़ गई है और ठंडक बढऩे के अनुमान लगाए जा रहे है। इस बारिश को देखते हुए अधीक्षक भू-अभिलेख ने ओलावृष्टि होने की भी आशंका जताई है। इस ओलावृष्टि के प्रकोप से गेहूं के साथ दलहनी खासकर तुअर, मटर, मसूर, चना सहित तिलहनी फसल सरसों की फसल को अधिक नुकसान होगा।
 
उनके अनुसार फरवरी माह के दौरान लगातार बदलते मौसम में बारिश की बन रही स्थितियों में ओलावृष्टि होने की सम्भावनाएं अधिक होती है। अगर बारिश लगातार होती है तो इससे गेहूं की फसल के साथ रबी की अन्य फसलों को लाभ होगा और तैयार होने की कगार पर पहुंची दलहनी फसलों के दाने और अधिक पुष्ट होंगी। लेकिन चिंता की बात है कि इस सीजन के दौरान इस प्रकार के मौसम में आ रहे बदलाव और बारिश ओलावृष्टि के सूचक माने जाते हैं, जिसमें तैयार फसलों के नुकसान होने की अधिक सम्भावना बनी रहती है। 

विलम्ब से बोई फसल को नुकसान

उपसंचालक कृषि एनडी गुप्ता ने बताया कि तेज बारिश से फूल निकलने की तैयारी में मसूर, की फसल को नुकसान हो सकता है। बारिश के कारण फूल काल पड़कर झड़ सकते हैं। इसके अलावा बटरा की फसल भी प्रभावित होगी। बारिश के कारण मसूर और अलसी में उकथा रोग प्रभावित करेगी। तिलहनी सरसो में माहू का प्रकोप बढ़ेगा और फसल को नुकसान पहुंचाएगा। वहीं टमाटर, की फसल को भी नुकसान पहुंचेगा। फिलहाल झमाझम बारिश से मौसम का मिजाज एक बार फिर से बदला है और वातावरण में ठंड लौटी है। जिससे ठंड के आसार बढ़े हैं।

गेहूं सहित रबी की अन्य फसलों को फायदा

कृषि विज्ञान केंन्द्र अमरकंटक के प्रमुख संभव पांडेय ने बताया कि बारिश से गेहूं सहित रबी की अन्य फसलों को फायदा होगा, लेकिन जो फसल देर से बुवाई हुई है और उनमें फूल आ रहे हैं तेज बारिश से ऐसे फसलों को नुकसान हो सकता है। 
Kolar News 22 February 2020

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