धार। जिले के धरमपुरी में महाशिवरात्रि पर्व पर जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही आई सामने आई है। समन्वय की कमी के चलते ओंकारेश्वर स्थिति बांध से अचानक नर्मदा का पानी छोड़ दिया गया, जिसके चलते प्रशासन का बनाया अस्थायी पुल बह गया और हजारों श्रद्धालु नर्मदा बीच स्थित टापू पर बने शिव मंदिर तक नहीं पहुंच सके।
धरमपुरी में नर्मदा नदी के बीचों बीच बेंट नामक टापू पर भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव मंदिर है, जहां हर शिवरात्रि पर मेला लगता है और हजारों लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। लेकिन शुक्रवार को महाशिवरात्रि पर्व पर बांध से अचानक पानी छोड़ दिया गया, जिससे नर्मदा का जलस्तर बढ़ गया और अस्थीय पुल तेज बहाव में बह गया। जिसके चलते हजारों शिवभक्त भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के दर्शन करने से वंचित रह गए। शुक्रवार सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु महाशिवरात्रि पर आयोजित होने वाले मेले में शामिल होने के लिए नर्मदा तट पर पहुंच चुके थे। वहीं जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी मौके पर है किंतु 2 दिन पूर्व ही बनाए गए अस्थाई पुल के ऊपर से पानी आने से प्रशासन भी अपने आपको असहाय महसूस कर रहा है।
ज्ञात रहे कि महीनों पूर्व से ही जिला प्रशासन द्वारा यहां महाशिवरात्रि पर आयोजित होने वाले मेले की तैयारियों में जूटा हुआ था और उसके लिए उन्होंने कई अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया था। इसके लिए जिला प्रशासन ने अस्थाई रूप से एक पुल का निर्माण भी करवाया था और यह इंतजाम भी किए गए थे कि इस पुल पर पानी नहीं पहुंचे । किंतु अचानक नर्मदा का जलस्तर बढ़ने से जिला प्रशासनिक अधिकारी कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं उनका कहना है कि इसकी जांच की जा रही है। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया है। धार जिला कलेक्टर श्रीकांत भनोट व जिला पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह सहित अन्य आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच चुके हैं । धार कलेक्टर ने आयोजित मेला समिति की बैठक में यह दावा किया था कि धार कलेक्टर ने यह दावा किया था कि महाशिवरात्रि पर नर्मदा का जलस्तर नहीं बढ़ेगा किंतु उनका यह दावा आपसी सामंजस्य के चलते फेल हो गया और नर्मदा का पानी छोड़ दिया गया।