नागदा। मप्र के उज्जैन जिले में चंबल नदी के किनारे बसे छोटे से औद्योगिक नगर नागदा पर इन दिनों देश-विदेश के उद्योगपतियों की नजर टिक गई है। बिड़ला घराने के ग्रेसिम व केमिकल डिवीजन के कुल 3600 करोड़ के प्रस्तावित औद्योगिक विस्तार प्रोजेक्ट के बाद अब जर्मनी की कंपनी लैंक्सेस ने भी इस शहर में 390 करोड़ के निवेश की परियोजना को प्रस्तावित किया है। इस प्रोजेक्ट की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
जर्मन कंपनी लैंक्सेस का उद्योग यहां पर पहले से चल रहा है। कार्बनिक उत्पादों की संभावनाओं के मद्देनजर नागदा में इस उद्योग का विस्तार करने का प्रोजेक्ट बनाया गया है। विस्तार प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लेने की प्रकिया भी शुरू हो गई है। इस प्रोजेक्ट के प्रथम चरण का कार्य 7 मार्च को लोक सुनवाई से हो रहा है। इस कार्यक्रम में जनता की आपत्तियों एवं सुझाव आदि पर चर्चा की जाएगी।
मप्र प्रदूषण बोर्ड के संभागीय अधिकारी ने की पुष्टि
मेसर्स लैंक्सेस इंडिया प्रा. लिमिटेड अर्थात एलआईपीएल के उक्त प्राजेक्ट के बारे में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उज्जैन संभागीय अधिकारी एस.एन. द्धिवेदी ने फोन पर हिंदुस्थान समाचार को बुधवार को पुष्टि करते हुए बताया कि नागदा में लैंक्सेस ने अपने उत्पादन के विस्तार के लिए भारत संरकार मंत्रालय नईदिल्ली में आवेदन किया है। जिसके तहत मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कंपनी के संयुक्त तत्वावधान में नागदा में लोकसुनवाई का आयोजन 7 मार्च को किया जा रहा है।
100 लोगों को रोजगार, वर्तमान में 870
लैंक्सेस कंपनी ने अपने प्रोजेक्ट विस्तार के लिए जो दस्तावेज मप्र प्रदूषण बोर्ड कार्यालय के माध्यम से सार्वजनिक किए हैं, उनकी प्रति हिंदुस्थान समाचार के पास सुरक्षित है। इन दस्तावेजों में बड़ा खुलासा यह किया गया है कि वर्तमान में लैंक्सेस का जो उद्योग चल रहा है उसमें 870 कर्मचारी कार्यरत हैं। प्रस्तावित विस्तार के बाद 100 लोगों को और रोजगार देने का अनुमान कंपनी ने सार्वजनिक किया है।
प्रोजेक्ट की प्रष्ठभूमि
एलआईपीएल को रसायनिक उत्पादनों में लंबा अनुभव है। इस कंपनी का गठन भारत में 1 जुलाई 2004 को हुआ था। इस कंपनी का मुख्य कारोबार रसायन, और प्लास्टिक का निर्माण और उसका विपण्न करना है। नागदा में आइपीएल कंपनी ने 1 सितंबर 2009 में मेसर्स ग्वालियर केमिकल प्रा. लिमिटेड का अधिग्रहण कर यहां पर अपने पांव पसारे थे।
70 हजार टन होगा थायोनिल क्लोराइड का उत्पादन
प्रमाणित दस्तावेजों के मुताबिक लैंक्सेस नागदा में वर्तमान में थायोनिल क्लोराइड का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है। यहां पर कंपनी को वर्तमान में 50 हजार मैट्रिक टन प्रतिवर्ष थायोनिल क्लोराइड की अनुमति मिली हुई है। कंपनी अब 20 हजार मैट्रिक टन और इस खतरनाक रसायन का उत्पादन करने के लिए कदम बढ़ा रही है। इस प्रकार अब कुल 70 हजार मैट्रिक टन थायोनिल क्लोराइड का उत्पादन इस शहर में प्रतिवर्ष होगा। बताया जा रहा हैकि थायोनिल क्लोराइड के उत्पादन पर कुछ देशों ने प्रतिबंध भी लगा रखा है।
नए उत्पादनों की मांगी अनुमति
भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय में प्रस्तुत दस्तावेजों के मुताबिक लैँक्सेस कंपनी नागदा के वर्तमान में लगभग 16 उत्पाद हैं। अब कुल 6 नए उत्पाद सोडियम हाइपोक्लोराइट 250 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष, अल्फा एमाइल सिनामाल्डिहाइ्रड 2000 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष एवं सल्फयुरिक एसिड 6000 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष बनाने की अनुमति मांगी गई है। इसी प्रकार से सोडियम सैलिसिलेट 8000 मैट्रिक टन, एन आक्टनल 5950 एवं सल्फर ट्राइआक्साइड 16100 मैट्रिक टन प्रतिवर्ष बनाने की अनुमति मांगी है।
भूमि तो उपलब्ध पर पानी की बढ़ेगी खपत
इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट में बड़ी बात यह सामने आई है कि कंपनी के पास भूमि तो पुराने उद्योग की उपलब्ध है, लेकिन उत्पादन में पानी की खपत बढ़ जाएगी। कंपनी ने अपने दस्तावेजों में दावा किया हैकि वर्तमान में पानी की मांग 2644 केएलडी है। विस्तार के बाद पानी की मांग 5064 केएलडी हो जाएगी। परियोजना स्थल का कुल भुखंड 23.468 हैक्टेयर पहले से ही कंपनी के कब्जे में हैं। कंपनी ने यह भी दावा किया हैकि परियोजना स्थल के भीतर भूखंड का कुल 37.63 प्रतिशत अर्थात 8.83 हैक्टेयर हरा क्षेत्र है। अतिरिक्त पौधरोपण के लिए संभावना तलाशी जाएगी।
विकास पर 1.50 करोड़ का दावा
कंपनी ने प्रोजेक्ट के दस्तावेजों में यह दावा किया हैकि सीएसआर फंड के तहत कंपनी ने पिछले 9 वर्षो में 308.25 लाख रुपये खर्च किये हैं। अब वर्ष 2019 के सीएसआर में 160 लाख रुपये का खर्च करना प्रस्तावित है।