मध्यप्रदेश के दया नायक माने जाते हैं सुधेश
राजधानी के कोलार थाने में आमद देने वाले भिंड जिले के दंबग टीआई सुधेश तिवारी को मप्र का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक कहा जाना लाजमी होगा। भिंड जिला पुलिस में मामूली सिपाही से भर्ती सुधेश अपने आधा सैकड़ा एनकाउंटरों की बदौलत महज 11 सालों में तीन पदोन्नतियां लेकर निरीक्षक बने हैं। आलम यह है कि भिंड, मुरैना, चंबल और ग्वालियर क्राइम ब्रांच में पदस्थ रहे तिवारी पिछले डेढ़ दशकों में प्रदेश में हुए करीब 259 डकैतों और 100 गैंगस्टर के एनकाउंटर आॅपरेशन में से एक तिहाई में शामिल रहे हैं।
अबतक सुधेश के नाम पर करीब 56 से ज्यादा एन्काउंटर दर्ज हैं। प्रदेश पुलिस के सिर दर्द रहे कुख्यात डकैत निर्भर गुर्जर, फक्कड़ बाबा, रामबाबू गड़रिया, सलीम गैंग, ढोकिया गैंग के सफाए में सुधेश की भूमिकाएं रही। इसके साथ ही चंबल, ग्वालियर, मुरैना के खतरनाक गैंगस्टर शेरा किरार, समीर जाट, हरेंद्र राणा, बादाम ढीमर जैसे एन्काउंटर भी सुधेश के खाते में हैं।
एनकाउंटर की दम पर बने सिपाही से टीआई :
1998 में मप्र पुलिस विभाग में सिपाही से भर्ती सुधेश तिवारी ने 2002 से दस्यु मुहिम का हिस्सा बनें। खुंखार डकैतों और उनके गैंग के सदस्यों का एनकाउंटर किया। 2005 में यूपी के कुख्यात डकैत फक्कड़ बाबा और कुश्वाह नाइन गिरोह के आत्मसमर्पण कराने पर सुधेश को पहला प्रमोशन मिला। उन्हें 2005 में पदोन्नत कर हवलदार बना दिया गया। 2005 में कुख्यात डकैत रामबाबू गड़रिया और उसके गैंग के सफाए के चलते 2009 में दूसरा प्रमोशन दिया गया। भिंड के व्यापारी जैन की पकड़ छुडाने और चार डकैतों का एनकाउंटर करने पर 2010 में तिवारी तीसरी पदोन्नति देकर विभाग ने एसआई बना दिया। 2015 में विभागीय पदोन्नति के बाद वह टीआई बने।
राष्ट्रपति का विरता पदक
भिंड के गौरमी में कुख्यात डकैत राम शर्मा का 2009 में एन्काउंटर करने पर सुधेश तिवारी को 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा पुलिस का विरता पदक देकर सम्मानित किया गया।
सतना जाकर मारे 7 डकैत
एसपी फरीद शापू के नेतृत्व में भिंड एंटी डकैत (एडी) टीम में शामिल सुघेश सतना पहुंचे थे। जहां खडक सिंह समेत उसकी गैंग के सात डकैतों का एक साथ एनकाउंटर किया गया था।
पिछले टीआई पत्नी के फेर में निपटे
कोलार थाने के पिछले टीआई अखिलेश मिश्रा के रहते कोलार पुलिस स्टेशन बर्बाद होने के साथ बदनाम भी हुआ। टीआई अखिलेश मिश्रा की इलाके के अपराधियों से सांठगांठ होने के साथ अपराधियों के दलाल भी पूरे समय पुलिस थाने में मटरगश्ती करते नजर आते थे। ऐसे में अखिलेश मिश्रा और उनकी पत्नी के रोज के झगड़ों की वजह से कोलार थाना ड्रामा सेंटर में तब्दील हो चुका था। इलाके के सीएसपी पर एएसपी का पूरा समय अखिलेश को बचाने में जाय होता था ,अखिलेश मिश्रा के कारनामों से तंग आ कर जब उनका यहाँ से तबादला किया गया तभी से ये उम्मीद की जा रही थी की अब यहाँ के हालत सुधरने के लिए एक दबंग अधिकारी की जरुरत पढ़ेगी। जो कि सुधेश तिवारी के रूप में पूरी हुई है।
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