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श्वेता शुक्ला
रायपुर। पंडरिया ब्लाक के सुदूर वनांचल ग्राम पंचायत पुटपुटा की रहने वाली महिला सोहागा बाई पति क्लेश, जाति गोड (उम्र 25 साल) टीबी बीमारी से पीड़ित है। लेकिन उसकी जीने की तमन्ना और आत्मविश्वास ने टीबी जैसी जानलेवा बीमारी से जंग जीत जिंदगी पाई है।
जागरूकता नहीं थीं
सोहागा बाई बताती है कि उसको पता नही था कि वह इतनी बड़ी गम्भीर बीमारी से पीड़ित हूँ। शुरू से पता नहीं था हमेशा बुखार आता था, हल्की खासी होती थी। गांव के मितानिन से मलेरिया बुखार का चेक करवाया तो नही निकला। फिर धीरे धीरे खाँसी बढ़ते गई और बलगम निकलते जाता था और वजन कम होते जा रहा था। घर के लोग चिंता में रहना शुरू करने लगे कि आखिर क्या हो गया। रात दिन बुखार खांसी ठीक नही हो रही है।
मितानिन ने दी सलाह
फिर उसके घर के बगल में मितानिन और ग्रामीण स्वास्थ्य ने सलाह दिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुकदूर में एक बार टीबी बीमारी की जांच करवा लो तो में अपने पति के साथ अस्पताल गई। जहां बलगम(थूक) करवाया तो टीबी बीमारी है इसका होना बताया। वहां मुझे 6 महीने का गोली दिया में नियमित रूप से गोली का सेवन किया और फॉलो(बीच बीच मे जांच) करवाया।
अब 6महीने के बाद फिर जांच करवाया तो निगेटिव आया स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि तुम पूरी तरह से ठीक हो गई हो अब पूरी तरह से स्वास्थ्य हो गई हो सोहागा बाई ने बताया मुझे बुखार खासी नही आता में मध्यवर्गीय परिवार से हूँ ,खेत जाती हूँ और घर का काम करती हूं। शुरू में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा था इलाज के लिए पैसा नही था।
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