छतरपुर। छतरपुर का महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ जैविक खेती, औषधीय पौधारोपण और उत्कृष्ट किस्म के खाद निर्माण का केन्द्र भी बनेेगा। दरअसल छतरपुर यूनिवर्सिटी और जबलपुर के कृषि विश्वविद्यालय के बीच हाल ही में एक अनुबंध हुआ है जिसके अंतर्गत कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान और प्रोफेसर छतरपुर यूनिवर्सिटी की जमीन पर जैविक खेती सहित कृषि से जुड़े अन्य प्रयोगों में मदद करेंगे।
इसके साथ ही छतरपुर यूनिवर्सिटी और भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बीच भी एक अनुबंध हुआ है। इस अनुबंध के तहत राजीव गांधी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ छतरपुर यूनिवर्सिटी को तकनीकी मदद प्रदान करेंगे। इस सहयोग के बल पर छतरपुर यूनिवर्सिटी में ई-प्रवेश एवं ऑनलाईन परीक्षा जैसे नवाचार शुरू हो सकेंगे। कुलसचिव डॉ. पुष्पेन्द्र पटैरिया ने बताया कि इस संबंध में भोपाल में एक तीन दिवसीय तकनीकी कार्यशाला का आयोजन भी राजभवन के द्वारा किया गया है। उक्त कार्यशाला में छतरपुर के सहायक कुलसचिव हर्षित ताम्रकार को भोपाल भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि फिलहाल इस यूनिवर्सिटी के पास अपना कोई भवन नहीं है। सरकार से बजट मंजूरी में हो रही देरी के चलते यह विश्वविद्यालय संभाग के 173 महाविद्यालयों की परीक्षा का ही आयोजन मात्र कर रहा है।
यूनिवर्सिटी की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने कलेक्टर से की मांग
उल्लेखनीय है कि छतरपुर के बगौता हार में मौजूद 418 एकड़ जमीन पर छतरपुर विश्वविद्यालय का निर्माण प्रस्तावित है। इस जमीन के कुछ खसरा नंबरों पर वर्षों से लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। गुरूवार को यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधि मण्डल कुलपति टीआर थापक और कुलसचिव डॉ. पुष्पेन्द्र पटैरिया ने कलेक्टर मोहित बुंदस से मुलाकात कर इस अतिक्रमण को हटवाने की मांग की। कलेक्टर ने एडीएम प्रेम सिंह चौहान को यूनिवर्सिटी की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के दिशा-निर्देश दिए हैं।
148 करोड़ रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली, कैबिनेट मंजूरी का इंतजार
गौरतलब है कि 10 दिसम्बर को भोपाल में मुख्य सचिव एसआर मोहंती की अध्यक्षता में आयोजित हुई उच्च शिक्षा विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान छतरपुर यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए 148.69 करोड़ रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है। अब यूनिवर्सिटी निर्माण के लिए मिली इस प्रशासकीय स्वीकृति को कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है। जैसे ही कैबिनेट की मंजूरी मिलती है सरकार 4 किश्तों में उक्त राशि जारी करेगी और 418 एकड़ में एक विशाल यूनिवर्सिटी का निर्माण हो सकेगा। हालांकि कैबिनेट मंजूरी के लिए छतरपुर के विधायकों को सरकार से मांग करनी होगी ताकि बजट जारी होने में विलंब न हो।
चार साल पुरानी भर्ती प्रक्रिया फिर होगी शुरू
दिसम्बर 2015 में शासन के निर्देश पर महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर कर्मचारियों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था लेकिन यह प्रक्रिया विभिन्न कारणों से पूरी नहीं हो सकी। 21 दिसम्बर को विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में इस भर्ती प्रक्रिया को दोबारा प्रारंभ करने पर सहमति बन सकती है। कुलसचिव ने बताया कि शासन और यूजीसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक यह भर्ती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ विश्वविद्यालय द्वारा कराई जाएगी। गौरतलब है कि इस प्रक्रिया में छतरपुर जिले के 4 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी 4 साल पहले ही आवेदन कर चुके हैं और यूनिवर्सिटी के पास उनके द्वारा फार्म राशि के रूप में लगभग 40 लाख रूपए भी जमा किए जा चुके हैं। कुलसचिव ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों के द्वारा पहले फार्म भरे गए हैं उन्हें नए सिरे से फार्म नहीं भरना पड़ेगा और न ही शुल्क देना पड़ेगा।
इनका कहना-
यूनिवर्सिटी के विकास के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। हाल ही में हुए दो अनुबंधों के कारण हमारा विश्वविद्यालय सम्पन्न बनेगा। कैबिनेट मंजूरी और बजट जारी होते ही निर्माण कार्य भी शुरू होगा।
डॉ. पुष्पेन्द्र पटैरिया, कुलसचिव, छतरपुर यूनिवर्सिटी