सरकार नाराज है माया की माया से राजधानी के रातीबड़ इलाके की मंडोरा पंचायत में एक किसान दंपत्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के मामले में एसडीएम माया अवस्थी बुरी तरह फंसती नजर आ रही हैं। सरकार ने किसान दंपत्ति खुदकुशी मामले को बड़ी गंभीरता से लिया है। सीएम चौहान के एक प्रमुख सचिव जो कलेक्टर भी रह चुके हैं ने कहा कि प्रथम दृष्टिया एसडीएम माया अवस्थी इस घटना की दोषी हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश हैं कि बगैर सेटेलमेंट के किसी के मकान को नहीं तोड़ा जाए। सुप्रीमकोर्ट के आदेशों का जिक्र करते हुए प्रमुख सचिव ने कहा कि इस बारे में सुप्रीमकोर्ट के आदेश हैं कि सरकारी जमीन पर बने मकानों के सिलसिले में संबंधित कलेक्टर सुनवाई कर आॅर्डर पास करें। इस मामले में कलेक्टर की सुनवाई से पहले ही अतिउत्साह में एसडीएम माया अवस्थी ने अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की है। सरकार इस बात से भी नाराज है कि विधानसभा सत्र के दौरान इस तरह की घटना से विपक्ष को सरकार को घेरने के लिए एक हथियार मिल गया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में भोपाल कलेक्टर से रिपोर्ट भी बुलवा रही है। रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम माया अवस्थी पर कार्यवाही की जाएगी। विदित हो कि एसडीएम माया अवस्थी मंडेरा गांव के एक किसान दंपत्ति नन्हू लाल और उसकी पत्नी नन्ही बाई को सरकारी जमीन पर बने उनके मकान से बेदखल करने के लिए पिछले कुछ दिनों से प्रताड़ित कर रहीं थीं। कल बुधवार को एसडीएम माया अवस्थी मय लाव लश्कर के फिर किसान दंपत्ति को प्रताड़ित करने पहुंच गईं। एसडीएम माया अवस्थी की प्रताड़ना से त्रस्त किसान नन्हू लाल और उसकी पत्नी नन्ही बाई ने एसडीएम माया अवस्थी के सामने ही जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। किसान दंपत्ति को गंभीर अवस्था में पहले जेपी अस्पताल और फिर हमीदिया अस्पताल में कल बुधवार को भर्ती कराया गया। एसडीएम माया अवस्थी द्वारा गरीब हरीजनों और आदिवासियों को प्रताड़ित करने की यह पहली घटना नहीं है। पिछले वर्ष माया अवस्थी द्वारा कोलार में मकानों को तोड़ने के दौरान हंगामा हो गया था। लोगों ने पहले तो माया अवस्थी और उनकी टीम के ऊपर पत्थरबाजी की और बाद में उनकी सरकारी गाड़ी में भी आग लगा दी थी। भोपाल जिला कलेक्ट्रेट के एक अधिकारी ने बताया कि माया अवस्थी पर आए दिन भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं। इन आरोपों से बचने के लिए एसडीएम माया अवस्थी भोपाल कलेक्टर को प्रभावित करने के लिए अति उत्साह में सरकार को अकसर परेशानी में डाल देती हैं। इसी तरह की एक घटना में कुछ वर्ष पूर्व तहसील हुजूर के ही एसडीएम महेंद्र सिंह, तहसीलदार लक्ष्मीकांत खरे और पटवारी सस्पेंड हो चुके हैं।
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