Advertisement
प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में किसानों को उनकी उपज की कीमत में से दो लाख रुपए तक नकद भुगतान करना होगा। यह भुगतान उसी दिन करना होगा, जिस दिन व्यापारियों द्वारा किसान की फसल खरीदी जाएगी। बाकी राशि भी बैंकिंग ट्रांसफर प्रणाली से किसानों के खाते में उसी दिन डालनी होगी। किसानों की फसल के भुगतान में हो रही देरी और धांधली के बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए मंडी बोर्ड ने यह फैसला लिया है। इस बारे में मंडी बोर्ड के संभाग और जिला स्तर के अधिकारियों और मंडी समितियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
प्रदेश की कई मंडियों में ऐसे व्यापारी भी हैं जो आयकर अधिनियम की आड़ लेकर किसानों से उधारी में उपज खरीद रहे हैं। बाद में वे उसी उपज को आगे बड़े कारोबारियों को बेचकर पैसा लेते हैं और फिर किसानों को भुगतान कर रहे हैं। प्रदेश की अलग-अलग मंडियों में वहां के व्यापारी तय प्रक्रिया का पालन न करते हुए अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से किसानों को भुगतान कर रहे हैं। किसी मंडी में पूरा नकद भुगतान किया जा रहा है तो कहीं 10 हजार रुपए तक ही किया जा रहा है। कहीं एक ही मंडी में आधे व्यापारी नकद भुगतान कर रहे हैं तो आधे आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए किसान के खाते में पैसा भेजते हैं। इसमें भी बैंक अफसरों से मिलीभगत कर यह कारस्तानी की जाती है जिससे आरटीजीएस का पैसा जानबूझकर देरी से किसान के खाते में पहुंच रहा है।
इसे देखते हुए मंडी बोर्ड के एमडी फैज एहमद किदवई ने उपज के भुगतान सहित अन्य नियमों को लेकर मंडी अफसरों और व्यापारियों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों का प्रचार-प्रसार मंडियों के प्रवेश द्वार, नीलामी, भुगतान, निकासी स्थल पर किया जाएगा। प्रचार दीवार लेखन, होर्डिंग और बैनर के अलावा माइक से अनाउंस करके किया जाएगा।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |