सबसे बेहतरीन पार्षद हैं भूपेंद्र माली ,दूसरे नंबर पर पवन बौराना
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मंजीत से लोग खुश हैं ,मनफूल न उतरीं किसी के मन में
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रविन्द्र यति के के हैं सबसे बुरे हाल /वार्ड से ज्यादा रखते हैं अपने कपड़ों का ख्याल
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शैफाली गुप्ता
छोटा से पवन बौराना ने अपने व्यवहार से सबको अपना मुरीद बना रखा है तो भूपेंद्र माली ने धुंआधार काम करके कोलार के पार्षदों में अपनी एक अलग छवि कायम कर ली है ,कोलार के पार्षदों में भूपेंद्र माली नंबर वन है तो दूसरे नंबर पर पवन बौराना हैं ,तीसरे नंबर पर कांग्रेस पार्षद मंजीत मारण , चौथे नंबर पर मनफूल मीणा और कार्य व्यवहार के मामले में रविन्द्र यति पांचवे और आखिरी नंबर पर हैं। kolarnews.net ने इस मसले पर सर्वे किया तो कई रोचक चीजें निकल के सामने आयीं।
कोलार में कौन है नंबर वन पार्षद। यह जानने के लिए सात हजार तीन सौ दो [7302 ] मतदाताओं से बातचीत की गई। यह सभी वे लोग हैं जो चुपचाप जा कर मतदान कर आते हैं और राजनीति से बेखबर हो जाते हैं। इन लोगों से हुई बातचीत बेहद चौंकाने वाली थी। कुछ ने बताया कि उन्होंने पार्षद के नाम को देखकर वोट दिया तो कुछ ने बदलाव की उम्मीद के साथ इलाके में बदलाव कर दिया। इनमे अधिकांश लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कारण बीजेपी के पार्षद को जिताया। इस सर्वे के नतीजे इन 7302 लोगों से हुई बातचीत के आधार पर सामने आये हैं। सर्वे के नतीजे में भूपेंद्र माली और पवन बौराना सबसे अव्वल नजर आये हैं।
भूपेंद्र और पवन सबसे लोकप्रिय
यह दोनों इससे पहले भी पार्षद रहे हैं लेकिन किस्मत ने दोनों के इलाके बदल दिए और इनके बारे में आम धारणा थी कि अगर यह चुनाव जीत गए तो अपने इलाके में दिल से काम नहीं करेंगे ,लेकिन भूपेंद्र और पवन ने लोगों की इस भ्रान्ति को दूर कर दिया है और कार्य व्यवहार के नजरिये से कोलार इलाके के सर्वोत्तम पार्षद भी बन गए हैं। भूपेंद्र माली और पवन बौराना को जीत दिलवाने वाले मतदाता भी पहले यह मानकर चल रहे थे कि यह चुनाव के बाद अन्य पार्षदों की तरह गायब हो जाएंगे। वार्ड 81 में पवन बौराना और 82 में भूपेंद्र माली ने अपनी इच्छा शक्ति से बेहतरीन काम किया है और इलाके में नया होने के बावजूद अच्छी पैठ बना ली है। पवन बौराना कहते हैं इलाके में अभी बहुत काम करना है अभी तो कुल पांच करोड़ 22 लाख 29 हजार के काम हो रहे हैं।
रविन्द्र यति का ग्राफ गिरा
रविन्द्र यति कोलार की राजनीति में बड़ा नाम है। लेकिन बिल्डरों और कथित भू माफियाओं से उनकी नजदीकी के चलते वे जल्दी ही मतदाताओं की नजर से उतरना शुरू हो गए हैं। उनके मतदाता कहते है जितना कलफ लगे शानदार कपडे पहनने पर रविन्द्र यति ध्यान देते हैं उसका एक फीसदी वो अपने वार्ड की सफाई पर ध्यान दे देते तो उनका वार्ड स्वर्ग में तब्दील हो जाता। मतदाता कहते हैं बड़े पुल की बड़ी बड़ी बातें करने वाले पार्षद को आम जनता के दुःख ,परेशानी से कोई वास्ता नहीं है। मतदाता यति को एक ख़ास पैसे वालों की जमात का नेता मानते हैं। रविन्द्र यति एक शिक्षक जीवन झाडे की मौत के बाद चर्चाओं में आये थे ,जीवन झाड़े की मौत के बाद उसके परिजनों ने आरोप लगाया था कि इस सब की वजह यति हैं। रविन्द्र यति वार्ड का ठीक से विकास तो क्या सफाई व्यवस्था दुरुस्त करवा नहीं पाये और विधायक बनने का सपना संजोये हैं। रविन्द्र यति खुद को इलाके के भविष्य के विधायक के रूप में अपने चेलों से प्रचारित करवा रहे हैं और यही बात मतदाताओं को सबसे ज्यादा परेशान किये हुए है कि जो शख्स इलाके की साफसफाई दुरुस्त नहीं करवा पाया वो विधायक बनने का सपना देख रहा है।
मनफूल के पति से हैं मतदाता नाराज
वार्ड 83 की बीजेपी पार्षद मनफूल मीणा है। मनफूल का परदे के पीछे रहना और उनके पति श्याम मीणा का सारे काम अपने हाथ में रखने से उनकी इमेज डैमेज हुई है। अपने वार्ड में अच्छे काम करवाने के बाद भी श्याम मीणा के कुछ कामों और इलाके में भवन निर्माण कर रहे लोगों से अवैध वसूली की वजह से मनफूल मीणा की किकिरी हो रही है। मतदाताओं को मनफूल मीणा से शिकायत है कि वे खुद लोगों से मिलती नहीं हैं और हर जायज काम के लिए भी पहले उनके पति की बेवजह चिरौरी करना पड़ती है। मनफूल के पति श्याम मीणा से मतदाता नाराज हैं ,जिसका खामियाजा मनफूल को भविष्य के चुनाव में उठाना पडेगा।
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