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अपना मानदेय बढ़ाने और स्थायी करने की मांग को लेकर भोपाल के पॉलीटेक्निक चौराहे पर प्रदर्शन कर रहीं आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन उस वक्त उग्र हो गया, जब टॉवर पर चढ़ने की कोशिश कर रही एक महिला कार्यकर्ता बीस फीट ऊपर से नीचे गिर गई।
नाराज आशा-ऊषा कार्यकर्ता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांगों को लेकर मिलना चाहती थी। लेकिन मुख्यमंत्री दौरे पर थे। इसके चलते नाराज आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं के 8 सदस्यीय दल को बुधवार दोपहर 12 वल्लभ भवन बुलाया गया। यहां अधिकारियों ने चर्चा की और मांगों को मानने के आश्वासन दिए। लेकिन वे नहीं मानी और तुरंत नियमित करने व मानदेय बढ़ाने की मांग पर अड़ी रही।
इसी को लेकर बहस भी की। वापस पॉलीटेक्नीक चौराहे के पास पहुंच गईं। यहां चौराहे पर लगे टॉवर पर चढ़ गईं। उन्हें उतारने के लिए पुलिस के जवान चढ़े। झूमा-झटकी में कार्यकर्ता व पुलिस के जवान गिर गए।
महिला के नीचे गिरते ही साथी कार्यकर्ता आग-बबूला हो गईं और उनकी पुलिसवालों से हुज्जत हो गई। नौबत हाथापाई तक कि आ गई। आशा-ऊर्षा कार्यकर्ताओं को मौके से खदेड़ने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया।
घायलों को हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया है। बाकी की आधा सैंकड़ा कार्यकर्ताओं को सेंट्रल जेल ले जाया जा रहा है। पूरा घटनाक्रम दोपहर 2 बजे के बाद का है। इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट करके प्रदेश सरकार को घेरा। उन्होंने लिखा कि, प्रदेश की आशा- उषा कार्यकर्ता अपनी मांगों लेकर सीएम हाउस के पास सड़क पर बच्चों के साथ धरना दे रही हैं, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है।
प्रदेश की आशा-उषा कार्यकर्ता अपनी जायज माँगो को लेकर सीएम हाउस के समीप सड़कों पर कड़ी धूप में अपने बच्चों को लेकर धरने पर बैठी है..
उनसे राखी बँधवाने वाले शिवराज को चुनावी भूमिपूजन छोड़ उनकी खैर खबर लेना चाहिये लेकिन अभी तक सरकार का कोई भी ज़िम्मेदार उनसे मिलने तक नहीं पहुँचा है।
इससे पहले मंगलवार को पुलिस व्यवस्था को चकमा देकर सैकड़ों आशा-ऊषा कार्यकर्ता मंगलवार सुबह 9.30 बजे मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच गई थी। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसका महिला कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया था। लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। इससे वे नाराज हो गईं और पॉलीटेक्नीक चौराहे के पास सड़क पर बैठ गईं।
वो मंगलवार सुबह 10 से शाम पांच बजे तक वे यहीं बैठीं रहीं। इससे वहां ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ गई। रुक-रुककर जाम लगने लगा। लोगों की परेशानी देख पुलिस ने उन्हें चौराहे से उठाकर सड़क के किनारे बैठा दिया। वे देर शाम तक बैठीं रहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनका वेतन बढ़ाकर स्थायी नहीं किया जाता, तब तक वे भोपाल नहीं छोड़ेंगी।
प्रदेश की आशा-ऊषा कार्यकर्ता मानदेय नहीं बढ़ाने से नाराज हैं। नाराजगी उस दिन से और बढ़ गई जब प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं का वेतन बढ़ा दिया। अब ये भी मानदेय बढ़ाने व स्थाई करने की जिद पर अड़ी हैं। इसके लिए कार्यकर्ता पूर्व में भी भोपाल समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में विरोध दर्ज करा चुकी हैं।
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