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मध्यप्रदेश के करीब चार लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2017 का बोनस मिलने में देरी हो सकती है। दरअसल, अब तक 122 लॉट तेंदूपत्ता ही नहीं बिका है और राज्य सरकार ने बोनस बांटना शुरू कर दिया। पत्ता बिकेगा, तब कहीं मप्र राज्य लघु वनोपज संघ इन संग्राहकों को बोनस बांट पाएगा। इसमें दो से तीन महीने का समय लग सकता है। संघ के पूर्व अफसरों ने सरकार को राजनीतिक फायदा पहुंचाने के लिए ऐसे हालात बना दिए हैं।
वनोपज संघ ने 2017 में तोड़ा गया तेंदूपत्ता रिकॉर्ड रेट 5600 (औसतन) मानक बोरा में बेचा है। तय दर की 10 फीसदी राशि जमा कर ठेकेदारों ने संघ से अनुबंध तो कर लिया, लेकिन करीब 142 लॉट उठाने ठेकेदार नहीं आए। इनमें से कुछ ठेकेदार एक किस्त दे चुके हैं और कुछ दो। फिर भी लॉट नहीं उठा रहे। इसे देखते हुए वनोपज संघ ने पत्ते की फिर से नीलामी शुरू कर दी। वनोपज संघ के अफसर बताते हैं कि नीलामी प्रक्रिया शुरू होते ही करीब 20 लॉट की राशि आ चुकी है। शेष 122 लॉट की नीलामी के प्रक्रिया चल रही है।
तेंदूपत्ते का बोनस बांटने में जल्दबाजी के चक्कर में संघ के अफसरों ने संग्राहकों का ख्याल ही नहीं रखा। प्रदेश में 22 लाख संग्राहक हैं। इनमें से करीब 20 फीसदी को यह राशि अन्य संग्राहकों के साथ नहीं मिल पा रही है। वनोपज संघ पत्ता बेचने के बाद यह राशि जारी करेगा। उल्लेखनीय है कि संघ के तत्कालीन वन अफसरों ने दिन-रात एक कर 2017 में तोड़े गए पत्ते का 618 करोड़ रुपए बोनस बनाया था।
आमतौर पर बोनस पत्ता टूटने के दो साल बाद बांटा जाता है, लेकिन विधानसभा चुनाव को देखते हुए संघ के तत्कालीन अफसरों ने इसमें जल्दबाजी दिखाई। सरकार ने वर्तमान में 500 करोड़ रुपए बोनस बांटा है। जबकि 118 करोड़ रुपए अभी बांटा जाना है।
वनोपज संघ वर्ष 2008, 2013 और 2016 में टूटा पत्ता भी बेचने की कोशिश में लगा है। हाल ही में शुरू की गई नीलामी प्रक्रिया में इस पत्ते को भी रखा गया है।
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