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मध्यप्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने सोमवार को समीक्षा की। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में हुई बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग से कहा गया कि एक सप्ताह में तीन साल से एक स्थान पर जमे अफसरों के तबादले किए जाएं। खाली पदों को तत्काल भरा जाएगा। प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों को वापस बुलाएं। कलेक्टरों से कहा गया कि अपना सूचना तंत्र पुख्ता रखें। मीडिया से पहले आयोग को आपके जरिए सूचना मिलना चाहिए।
बैठक में अधिकारियों ने कहा कि आयोग के निर्देश का पालन कराया जाए तो चुनाव कराने में कठिनाई नहीं आएगी। चुनाव के दौरान जितने निगरानी एवं जांच दल बनें, सभी के पास मोबाइल फोन हो। आयोग का संदेश पहुंचाने हर जिले में एक एआरओ को नोडल अधिकारी बनाया जाए। उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने बताया कि आयोग ने चुनाव को लेकर दो सौ बिन्दुओं का इलेक्शन रिस्क मैन्युअल तैयार किया है। इसमें दो दर्जन से ज्यादा बिन्दु ऐसे हैं, जिनमें लापरवाही बरतने पर दोबारा चुनाव की स्थिति बन सकती है, इसलिए सतर्कता बरती जाए।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह ने बताया कि मतदाता सूची के शुद्धिकरण में जिलों ने अच्छा काम किया है। ईवीएम और वीवीपैट के बारे में बताने एक माह जागरूकता वैन चलाई जा रही है। कलेक्टर तय करें कि मतदाता का सत्यापन हुआ या नहीं: आयोग की टीम ने समीक्षा की शुरुआत भोपाल कमिश्नर के कार्यालय में मतदाता सूची के काम से की। उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने कहा कि कलेक्टर बीएलओ की रिपोर्ट के बाद पुख्ता कर लें कि हर घर में मतदाता का सर्वे और सत्यापन हुआ या नहीं।
उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने कहा कि ईवीएम में छेड़छाड़ नहीं हो सकती है। दुनियाभर से लोग हमारे चुनाव तंत्र को देखने आते हैं। जब कुमार से पूछा गया कि इंदौर कलेक्टर निशांत वरवड़े ने कुछ सवाल उठाए हैं तो उन्होंने कहा कि इस पर सीईओ ने संज्ञान लिया है। उधर, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह ने कहा कि कोई अज्ञानतावश टिप्पणी कर दे तो उसका कोई मतलब नहीं है। सूत्रों का कहना है कि वरवड़े से इस मामले में जवाब-तलब करने की तैयारी है।
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