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जबलपुर । जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की डिवीजनल बेंच ने मप्र सरकार द्वारा भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर के पीथमपुर में जलाए गए जहरीले कचरे की राख को लेकर पेश रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताते हुए उसे अमान्य कर दिया है। बेंच ने कहा कि राख को आबादी से महज 500 मीटर दूर दफनाने का प्रस्ताव है। सरकार खुद से सवाल करे कि भविष्य में कोई आपदा आती है तो उस राख से क्या दुष्परिणाम होंगे? हाईकोर्ट ने ये निर्देश 2004 में दायर जनहित याचिका पर दिए। इसमें फैक्ट्री परिसर में फैले जहरीले कचरे के विनष्टिकरण को लेकर सरकार को उचित निर्देश देने की प्रार्थना की गई थी।
सुनवाई में सरकार की ओर से एक वीडियो के जरिए दिखाया गया कि राख को किस तरह दबाया जा रहा है। बेंच ने एनिमेटेड वीडियो देखकर उसे अमान्य कर दिया। बेंच ने कहा कि सरकार को देखना चाहिए कि जिस कंसल्टेंट पर भरोसा जताया जा रहा, उसके पिछले रिकॉर्ड कैसे हैं। उस कंसल्टेंट कंपनी ने केमिकल से संबंधित मामले पर पहले कभी काम किया भी है या नहीं। कोर्ट ने कहा- राख में पारे को मौजूदगी को अनदेखा न करें।
बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा- देश में कई इंडस्ट्री में हादसे हो चुके हैं। उन सभी घटनाओं से सरकार को सबक लेना चाहिए। सरकार यह नहीं कह सकती कि सब ठीक है। गैत्र त्रासदी से पहले भी यूका फैक्ट्री परिसर में सब कुछ सही था। जिस जगह पर राख को दफनाने का प्रस्ताव है, उससे तो यही लग रहा कि सरकार एक और हादसे का इंतजार कर रही है। बेंच ने राख के मुद्दे पर वास्तविक और योग्य एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट के साथ सरकार को जवाब पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी।
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