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स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद अब केंद्र सरकार ने मिशन 'जीरो वेस्ट' के तहत स्टार रेटिंग की शुरुआत की है। इसके तहत जहां जितनी सफाई होगी, उसे उसी हिसाब से स्टार रेटिंग दी जाएगी। यानि अच्छी रेटिंग चाहिए तो एक-दो महीने नहीं सालभर शहर की साफ-सफाई पर ध्यान देना होगा। ऐसे में भोपाल नगर निगम को अब अच्छी स्टार रेटिंग पाने के लिए लगातार शहर की सफाई और अन्य प्रोजेक्टों पर पर ध्यान देना होगा। इसके तहत डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, कूड़ेदानों की पर्याप्त उपलब्धता एवं व्यवस्था, मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर की व्यवस्था समेत अन्य बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। इसमें अब नालियों की सफाई और जल स्त्रोतों से ठोस अपशिष्ट हटाने के संबंध में रेटिंग होगी। तालाब, टंकियों और नालियों की सफाई का कार्य लगातार होने पर 1 व 2 रेटिंग और और जल स्त्रोतों और नालियों की 100 प्रतिशत सफाई होने पर 3, 4 ,5 और 7 स्टार रेटिंग निर्धारित की गई है। इस रेटिंग सिस्टम से सबसे ज्यादा फायदा शहरवासियों को होगा, क्योंकि सड़कों से लेकर कॉलोनियों तक हर जगह साफ-सफाई पर लगातार जोर दिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार स्टार रेटिंग व्यवस्था ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुरूप ही तैयार की गई है। इसमें पहले शहरी निकायों को खुद मूल्यांकन और संबंधित रेटिंग के लिए सत्यापन करना होगा। इस चरण के पूरा होने के बाद केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय 3, 5 और 7 स्टार के लिए सत्यापन कराएगा। वहीं 1, 2 व 4 स्टार की रेटिंग राज्य सरकार द्वारा ही दी जाएगी। यही नहीं बल्कि ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) निकाय ही 3 स्टार या इससे अधिक के स्टार रेटिंग के लिए मान्य होंगे।
स्टार रेटिंग के जरिए ऐसे शहर को खोजा जाएगा, जहां स्वच्छता को लेकर तमाम नियमों का पालन किया जा रहा हो। मतलब यह कि किसी भी शहर में नाम मात्र भी कचरा सार्वजनिक स्थानों पर न हो, सभी प्रकार के ठोस अपशिष्ट का शत-प्रतिशत वैज्ञानिक तरीके से निपटान, नाले-नालियों, तालाबों और नगरीय निकाय सीमा में नदियों की पूरी स्वच्छता होने पर ही रेटिंग निर्धारित की जाएगी। ऐसे शहर को कचरा मुक्तशहर की उपाधि दी जाएगी। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि स्टार रेटिंग को सभी मायनों पर प्राप्त करना देश के किसी भी शहर के लिए बड़ी चुनौती है।
रेटिंग के नियमों व शर्तों में शहर के नागरिक समूहों की सहभागिता को भी अनिवार्य किया गया है। मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन में रहवासी कल्याण संघ, स्कूल के छात्र-छात्राओं व स्टाफ, स्व सहायता समूह, गैर सरकारी संगठन, निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठान, बाजार संघ, होटल संघ, प्रतिष्ठित व्यक्ति व सामुदायिक नेता के साथ अस्पतालों और परिवहन से जुड़े लोगों की भी सहभागिता निगम को करानी होगी।
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