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पानी की किल्लत, बांधों और तालाबों का जलस्तर घटने से बढ़ी दिक्कत
bhopal whater

भोपाल में अभी से बीते साल से तीन गुना ज्यादा जलसंकट गहरा गया है। इसका कारण तालाबों और बांधों का जलस्तर तेजी से घटना है। जिसके कारण निगम घरों तक पर्याप्त मात्रा में पानी सप्लाई नहीं कर पा रहा है। यूं तो राजधानी में जनवरी से ही जल संकट छाने लगा था, लेकिन अप्रैल आते-आते यह और बढ़ रहा है। दरअसल, आईएसबीटी स्थित नगर निगम के कॉल सेंटर में पानी की समस्या को लेकर सर्वाधिक शिकायतें आ रही हैं। बीते 90 दिनों में 900 शिकायतें सिर्फ जलसंकट को लेकर आई हैं। जबकि बीते साल अब तक मात्र 413 शिकायतें ही आई थीं। मई तक यदि ऐसी ही स्थिति रही तो राजधानी में भीषण जलसंकट गहरा जाएगा।

बारिश के मौसम को आने में अभी तीन महीने बाकी है, वहीं राजधानी में जलसंकट गहराने लगा हैं। मार्च 2018 में सबसे ज्यादा 416 शिकायतें पानी की समस्या की निगम के कॉल सेंटर में दर्ज की गई। जबकि पिछले साल मार्च 2017 में यह आंकड़ा केवल 173 था। जलसंकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राजधानी में रोजाना 104 एमजीडी पानी की सप्लाई की आवश्यकता है। लेकिन, निगम सिर्फ 90 एमजीडी ही सप्लाई कर रहा है।

निगम कॉल सेंटर में सबसे ज्यादा शिकायत तय समय सीमा से कम पानी सप्लाई होने की है। मतलब निगम द्वारा कम समय के लिए ही पानी सप्लाई किया जा रहा है। सप्लाई का दबाव कम और पाइप लाइन लीकेज की भी शिकायतें हैं। नवदुनिया ने पाया कि सोमवार को कॉल सेंटर में दोपहर 1 से 2.30 बजे तक पानी से संबंधित कई शिकायतें दर्ज हुई। साकेत नगर निवासी भुपेंद्र ठाकुर ने तय समय सीमा से कम पानी सप्लाई की शिकायत दर्ज कराई। वहीं, जहागीराबांद निवासी इरशाद अली ने भी प्रेशर कम होने और कम पानी सप्लाई की शिकायत दर्ज कराई।

निगम अधिकारियों ने बताया कि कॉल सेंटर पर पानी को लेकर आ रही समस्यों का तत्काल निराकरण किया जा रहा है। लेकिन, कई बार ऐसी भी स्थिति होती है कि समस्या हल करने में समय लगता है। इस स्थिति में निगम कॉल सेंटर पानी टैंकर की निशुल्क व्यवस्था करता है। एक दिन में ऐसे 4 से 10 टैंकर सप्लाई किए जा रहे हैं।

अल्प वर्षा के कारण शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बड़े तालाब का फुल टेंक लेबल 1666.8 से इस बार 5.3 फीट कम रहा। वहीं शहर को 30 एमजीडी पानी सप्लाई बड़े तालाब से ही होती है। इसी कारण रोजना 0.067 फीट जल स्तर कम होता जा रहा है।

भूमिगत जलस्तर भी गिरना जलसंकट का बड़ा कारण है। दो साल पहले अधिकांश क्षेत्रों में 120 से 170 फीट तक पानी मिल जाता था। अब कोलार, नीलबड़, रातीबड़ और सीहोर रोड की कई कॉलोनियों में 1000 फीट तक बोर करना पड़ रहा है। बाकी क्षेत्रों में जहां 200 फीट की गहराई में पानी मिल जाता था वहीं अब 500 से 700 फीट तक भूमिगत जल मिल रहा है।

नगर निगम की पुरानी और नई पाइप लाइनों से रोजाना 15 एमजीडी पानी लीकेज से बर्बाद होता है। शहर में ऐसे दर्जनों स्थान है जहां से निगम की लापरवाही के कारण पानी बर्बाद हो रहा है। गौरतलब है कि 135 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की आवश्यकता के अनुसार बर्बाद हो रहे पानी से 5 लाख लोगों की जल समस्या रोजाना हल हो सकती है। वहीं, शहर की बड़ी इमारतों और सरकारी भवनों में भी जल संरक्षण के लिए बेहद जरूरी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी नहीं लगाया गया है।

बड़ा तालाब का जल स्तर

मार्च 2017- 1663.85 फीट

मार्च 2018- 1655.43 फीट

अंतर- 8.42 फीट कम

यहां से पानी सप्लाई 30 एमजीडी प्रतिदिन

 

कोलार डेम का जल स्तर

मार्च 2017- 453.23 मीटर

मार्च 2018- 440.27 मीटर

अंतर- 12.96 मीटर कम

यहां से पानी सप्लाई 35 एमजीडी प्रतिदिन

कोलार इलाका ,अवधपुरी, गोविंदपुरा, लालघाटी, शाहजहांनाबाद, कोहेफिजा, अयोध्या नगर, साकेत नगर, सुंदरनगर, विद्या नगर, बरखेड़ा, शक्ति नगर, चांदबड़, करोंद और अशोका गार्डन, बरखेड़ी पठानी, पीरगेट, कल्पना नगर, इंद्रपुरी, सोनागिरी, आनंद नगर, लालघाटी, अंबेडकर नगर, चूना भट्टी, पूर्वांचल जैसे कई अन्य क्षेत्रों में पानी की समस्या है। बीते एक माह से इन क्षेत्रों में टैंकर्स से पानी सप्लाई भी किया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि निगम एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई का निर्णय ले सकता है। इस बार भी 2008 जैसे ही हालत पैदा हो रहे हैं। तब बड़े तालाब का जल स्तर 1655 फीट तक पहुंच गया था जब शहर में एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई की व्यवस्था शुरू की थी। साल 2013 में भी अल्प वर्षा के कारण यही व्यवस्था अपनाई।

Kolar News 3 April 2018

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