Video

Advertisement


पति की लम्बी आयु कामना व प्र‍गति के लिए महिलाओं ने वटवृक्ष का किया पूजन
anuppur, Women worshiped Banyan tree, husband

अनूपपुर । वट सावित्रि व्रत में वट यानि बरगद के वृक्ष के साथ-साथ सत्यवान-सावित्रि और यमराज की पूजा की जाती है। माना जाता है। वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ईष्टदेवों का वास होता है। वट वृक्ष के समक्ष बैठकर पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 26 मई को वट सावित्री पूजा के अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लम्बी आयु और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना लिए वट सावित्री का पावन व्रत किया। सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्षों की पूजा अर्चना कर सत्यवान-सावित्री कथा के प्रसंग में पति की लम्बी आयु की कामना लिए ईष्टदेव से सदा सुहागन का आशीष मांगा।

 

जिले के पसान, कोतमा, जैतहरी, बिजुरी, पसान, अमरकंटक, राजेन्द्र ग्राम, चचाई में भी वट सावित्री व्रत मौके पर सुबह से ही सुहागिन महिलाओं द्वारा मंदिरो एंव वृक्षों की परिक्रमा के साथ पूजा पाठ किया गया। पीपल, तुलसी सहित अन्य दूसरे वृक्षों में भी 108 फेरी लगाने के बाद मंदिर में पूजा अर्चना की गई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा करने का उद्देश्य पति की लम्बी आयु के साथ परिवारिक समृद्धि की कामना होती है।
 

दरअसल, सुबह से ही महिलाओं ने निर्जला व्रत करते हुए नगर के मुख्य पीपल वृक्षों के तनों में अक्षय सूत्र के 108 परिक्रमा लगाते हुए कामना के सूत्र बांधे। इस विधि में हर फेरे में महिलाओं ने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ईष्टदेव से मन्नते मांगी। महिलाओं ने जड़ों में फल-फूल चढ़ाकर हवन-धूप भी किया।

 

उल्लेखनीय है  कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का पर्व मनाया गया। महिलाओं ने पति की लंबी उम्र व प्रगति के लिए निर्जला व्रत रखा।  मंगलवार 27 मई को अमावस्या तिथि प्रातः 8:33 तक रहेगी इस दिन वृष राशि का सूर्य एवं वृष राशि का चंद्रमा एक साथ आने से इस दिन वट सावित्री व्रत एवं शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। कहते हैं कि इस दिन सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाई थी। ऐसी मान्यता है कि विवाहित स्त्रियां इस दिन वट वृक्ष की पूजा करती हैं, वट वृक्ष की लंबी उम्र होने के कारण इस वृक्ष की पूजा की जाती है, जिससे उनके पति की उम्र भी लंबी रहे।


पंडित सुनील दुबे कहते है की वट वृक्ष (बरगद पेड़) में देव निवास करते हैं। बरगद के पेड़ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु, शिव और ब्रम्हा का वास होता है जिसकी पूजा आराधना करने से सौभाग्य, आरोग्य व सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया है की वट सावित्री व्रत में 108 परिक्रमा लगानी चाहिए।  वृक्ष की कई शाखाएं नीचे की ओर झुकी रहती है जिन्हे देवी सावित्री का रूप माना जाता है। इन्ही सब मान्यताओं के आधार पर हिंदू सुहागिन महिलाए यह व्रत करके अपने सुहाग की रक्षा हेतु व्रत रख पूजन, आराधना करतीं है।

 

जमुना कोतमा में वट वृक्ष की हुई पूजा
अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर गुरुवार को महिलाओं द्वारा वट सावित्री का व्रत रखते हुए पूजा अर्चना कर पति की दीर्घायु जीवन की कामना की। जमुना कोतमा के रेलवे कॉलोनी, ठाकुर बाबा धाम, पंचायती मंदिर, रेस्ट हाऊस रोड शिव मंदिर, विकास नगर रोड मन्दिर सहित अन्य वट वृक्षों में सुबह से महिलाओं ने विधि विधान से पूजा करते हुए सुहागन सामग्री चूड़ी, बिंदी महावर को अर्पित कर परिक्रमा करते हुए अपने पति की दीर्घायु की कामना की।


नर्मदा उद्गम अमरकंटक में महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा
मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली अमरकंटक में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को महिलाओं ने सावित्री व्रत रहकर वट वृक्ष की पूजन, आराधना कर बारह परिक्रमा लगाते हुए इस पति की दीघार्यु में वृद्धि की कामना की। अमरकंटक क्षेत्र व आसपास की सुहागिन महिलाएं ही अपने पति की दीर्घायु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रख पूजन, आराधना और वट वृक्ष की परिक्रमा लगा सौभाग्य का आशीर्वाद लिया। 

 

Kolar News 26 May 2025

Comments

Be First To Comment....

Page Views

  • Last day : 8796
  • Last 7 days : 47106
  • Last 30 days : 63782
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.