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जबलपुर । हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह एलोपैथिक और आयुष डॉक्टरों के समान पशु चिकित्सकों की रिटायरमेंट की उम्र को 65 वर्ष तक बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रावधान बनाए। कोर्ट ने निर्णय में स्पष्ट तौर पर कहा कि यह संशोधन,जिसमें केवल एलोपैथिक और आयुष डॉक्टरों की रिटायरमेंट आयु को 65 वर्ष किया गया, लेकिन पशु डॉक्टरों को इससे बाहर रखा गया, संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि समान पद और सेवा में कार्यरत व्यक्तियों के बीच भेदभाव करना भारत के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है, और इस प्रकार का विभाजन केवल असमानता को बढ़ावा देता है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले में कहा कि पशु चिकित्सकों की सेवा का भी उतना ही महत्व है जितना एलोपैथिक और आयुष डॉक्टरों की सेवाओं का। उन्होंने कहा कि जब तीनों ही चिकित्सा सेवाएं सरकार के अधीन काम कर रही हैं, और जनता की भलाई के लिए समान रूप से योगदान दे रही हैं, तब केवल पदनाम या उपचार के विषय के आधार पर सेवानिवृत्ति की आयु में अंतर करना गैर-जरुरी और असंवैधानिक है।
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2011 में एक संशोधन अधिनियम के माध्यम से एलोपैथिक और आयुष पद्धति के डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई थी। यह निर्णय सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रहे डॉक्टरों के अनुभव और कुशलता को ध्यान में रखते हुए लिया गया था, जिससे चिकित्सा सेवाओं को मजबूती मिल सके। परंतु इसी दौरान राज्य सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग में कार्यरत पशु चिकित्सकों को इस लाभ से वंचित रखा गया। इस अन्याय के खिलाफ पशु चिकित्सकों के एक समूह, जिनमें डॉ. ओपी सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे, ने वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने अपनी याचिका में स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार द्वारा किया गया यह भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है। उनका तर्क था कि वे भी डॉक्टर हैं, सरकार की सेवा में हैं और जानवरों का इलाज करते हैं, तो उन्हें केवल इसलिए भिन्न मानना कि वे इंसानों का इलाज नहीं करते, यह पूरी तरह से अनुचित और गैरकानूनी है। कोर्ट ने न केवल भेदभावपूर्ण संशोधन को असंवैधानिक ठहराया, बल्कि राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द पशु चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष निर्धारित करने के लिए आवश्यक नियम और प्रावधान बनाए। साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक सरकार नए नियम नहीं बनाती, तब तक यह निर्णय प्रभावी रहेगा। यानी अब राज्य के सभी पशु चिकित्सक 65 साल की उम्र तक सेवा में बने रह सकेंगे।
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