भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 41 साल पहले हुई भीषण गैस त्रासदी का जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के रासायनिक अपशिष्ट (जहरीले कचरे) को पूरी तरह नष्ट करने का अंतिम चरण शुरू हो गया है। भोपाल से कंटेनरों में भरकर लाए गए 307 टन इस जहरीले कचरे को पीथमपुर में इंवायरो एनर्जी कंपनी के भस्मक संयत्र में सोमवार रात 8 बजे से जलाने की प्रक्रिया शुरू हुई। संयत्र में 270 किलो प्रति घंटे की दर से कचरे को 850 से 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जलाया जाएगा।
दरअसल, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, 28 फरवरी से नौ मार्च के बीच तीन ट्रायल रन में 10-10 टन के हिसाब से कुल 30 टन जहरीला कचरे को नष्ट किया गया था। तीन चरणों में जहरीले कचरे को नष्ट करने के ट्रायल रन की रिपोर्ट के आधार पर 72 दिन में कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए थे। उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार, इस जहरीले कचरे को दहन की प्रक्रिया शुरू की गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगले 51 से 55 दिन में यह कचरा पूरी तरह नष्ट कर दिया जाएगा।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि सोमवार सुबह 7ः42 भस्मक संयत्र में ब्लैंक रन शुरू किया। संयत्र के प्रथम व द्वितीय दहन कक्ष में डीजल जलाकर चेंबर को गर्म कर 1100 से डिग्री तक तापमान पहुंचाया गया। यह प्रक्रिया 12 घंटे तक निरंतर चली। इसके बाद भस्मक संयंत्र परिसर में विधि-विधान से पूजन कर सोमवार रात 8 बजे कचरे व लाइम के 18-18 किलो पैकेट को भस्मक संयंत्र में डालने का कार्य शुरु हुआ है।
उन्होंने बताया कि 307 टन कचरा 55 दिन में पूरी तरह नष्ट होगा। सुरक्षित वैज्ञानिक तरीके से कचरे का निष्पादन किया जा रहा है। जब तक कचरा जलेगा, उसकी आनलाइन मानीटरिंग की जाएगी। इस बार संयंत्र में आटोमेटिक मिक्सिंग, वेईंग व पैकिंग मशीन के माध्यम से यूका के कचरे उसके साथ निर्धारित मात्रा में मिलाए गए लाइम के 18-18 किलो पैकेट बनाने वाली मशीन का उपयोग किया गया। यह पैकेट तैयार होकर सीधे संयत्र के प्रथम दहन कक्ष में डाले गए। संयंत्र की चिमनी में मर्करी एनालइजर लगाया गया है। ऐसे मे कचरा जलने के बाद जो धुंआ चिमनी से बाहर निकलेगा। उसमें मर्करी है या नहीं इसकी जानकारी एनालाइजर के माध्यम से रियल टाइम पर डिस्प्ले बोर्ड पर दिखाई देगी।
संयंत्र से लगे बजरंगपुरा व चिराखान गांव में एम्बिएंट एयर मानीटरिंग स्टेशन लगाए गए है। इसके साथ डिस्पले बोर्ड भी लगाए गए है। ऐसे में यहां के ग्रामीणों को रियल टाइम में उस क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा की जानकारी मिल सकेगी। पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मैन्युअली मानीटरिंग कर रहा था। तारापुरा में एम्बिएंट एयर मानीटरिंग स्टेशन पहले लगा है। पिछली बार किए गए ट्रायल रन की तर्ज पर इस बार भी यूनियन कार्बाइड के कचरे के जलाने के दौरान डायक्सीन व फ्यूरान गैस की निगरानी फेयर लैब कंपनी द्वारा की जाएगी। इन गैसों के लिए प्रत्येक आठ घंटे में सैम्पल लेकर उसे केमिकल अंबर लाइट एएक्सडी टू से गुजारा जाएगा।