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गाड़ी में बैठकर शराब पीना दंडनीय अपराध
मध्यप्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति

 

मध्यप्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति के तहत एक अप्रैल से मोटर वाहन में बैठकर, सार्वजनिक स्थानों पर खुले में शराब पीने और उत्पात मचाने को अब दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। अहाते बंद होने के बाद सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों की संख्या बढ़ने के मद्देनजर नीति में यह प्रावधान किया गया है।

इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति शराब के नशे में किसी अपराध को अंजाम देता है तो उसे मदिरापान की स्थिति का लाभ नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में भारतीय दंड विधान संहिता में संशोधन कर सजा देने का प्रावधान करने के लिए गृह विभाग से सिफारिश की जाएगी। वहीं आबकारी अधिनियम 1915 के तहत कपटी और अस्पष्ट विज्ञापनों को भी दंडनीय बनाया जाएगा।

वन्य पर्यटन क्षेत्रों में रिसोर्ट बार को छोड़कर सभी बार लाइसेंस की फीस 20 प्रतिशत बढ़ाई।विदेशी शराब ठेकेदारों को मांग पर एफएल 2एए लाइसेंस दिया जाएगा। यह विशेष बार लाइसेंस कहलाता है। 2018-19 के लिए हैरिटेज होटल एवं टूरिज्म विभाग की होटल छोड़कर अन्य होटल के बार लाइसेंसों की न्यूनतम गारंटी में 15 प्रतिशत वृद्धि।

शराब दुकान के नवीनीकरण की स्थिति में विशेषाधिकार राशि नगर पंचायत व ग्रामीण क्षेत्र में 40 हजार के स्थान पर 50 हजार रुपए और नगर निगम व नगर पालिका क्षेत्र में 50 हजार की जगह 75 हजार रुपए की।गोदाम स्वीकृति के लिए ली जाने वाली फीस 75 हजार और एक लाख रुपए की।भांग, भांगघोटा व भांग मिठाई की दुकानों की लाइसेंस फीस में दस प्रतिशत की वृद्धि।

मध्यप्रदेश सरकार को नई नीति से भले ही 500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है, लेकिन वाणिज्य कर विभाग अगले वित्तीय वर्ष में आबकारी से 900 करोड़ रुपए ज्यादा कमाएगा। 2017-18 में 8600 करोड़ रुपए राजस्व संग्रहण का लक्ष्य विभाग को दिया गया था, लेकिन हाइवे किनारे की दुकानें और नर्मदा किनारे की दुकानें बंद करने से करीब 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

यह माना जा रहा है कि इस साल सरकार को 8100 करोड़ रुपए का राजस्व आबकारी से मिलेगा। जबकि 2018-19 के लिए विभाग को 9000 करोड़ रुपए का टारगेट दिया गया है। वहीं राज्य सरकार शराब पर वैट से अगले वित्तीय वर्ष में 500 करोड़ रुपए कमाएगी, जबकि इस साल का लक्ष्य 450 करोड़ रुपए था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर 20 हजार से कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में राष्ट्रीय या राज्य राजमार्ग से शराब दुकान 220 मीटर दूर होगी। वहीं 20 हजार से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र में जो नगरीय निकाय की श्रेणी में नहीं आते हैं, वहां हाइवे से 500 मीटर दूर होगी।

कैबिनेट में आबकारी नीति के प्रस्तुतिकरण के दौरान कुछ मंत्रियों ने सवाल-जवाब भी किए। सूत्रों के मुताबिक पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि गांव-गांव में अवैध शराब बिकने की बात सामने आती है। ठेकेदार ही अवैध शराब बिकवा रहे हैं। इसे रोकने के लिए हर थाने में मौजूद डायल 100 का इस्तेमाल होना चाहिए।

इस पर मुख्यमंत्री ने सहमति जताते हुए कहा कि इसके लिए एक समिति बनाएंगे। इसी तरह खाद्य मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने अवैध शराब की बिक्री पर जुर्माने का मुद्दा सामने आने पर कहा कि आदिवासी को इस मामले में न छूआ जाए। इन्हें 14 लीटर तक शराब की छूट रहती है।

सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में लाए जाने को लेकर भी सवाल पूछा गया। इस पर वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि अधिनियम में प्रावधान करेंगे। ड्राय जोन अधिसूचित होंगे। इन जगहों पर शराब पीना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।

 

Kolar News 1 February 2018

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