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बसंत पंचमी पर बाबा महाकाल को पीले वस्त्र पहनाकर किया श्रृंगार
ujjain,   Basant Panchami ,Baba Mahakal

उज्जैन । बसंत पंचमी पर सोमवार सुबह भस्मार्ती के बाद बाबा महाकाल को पीले वस्त्र धारण करवाए जाएंगे ओर आकर्षक श्रृंगार किया गया। भगवान को पीले रंग के पूष्प अर्पित किए वहीं पकवानों का रंग भी पीला था। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बसंत पंचमी की प्रात: भगवान महाकाल को फलों के रस से स्नान करवाया गया। सोमवार शाम को भगवान को गुलाल अर्पित की जाएगी और फाग उत्सव की शुरूआत हो जाएगी।

 
वैष्णव हवेलियों में 40 दिन चलेगा फाग
उज्जैन की वैष्णव हवेलियों में रविवार को बसंत पंचमी मनाई गई। इन मंदिरों में रविवार से सेवा प्रणाली की दिनचर्या बदल गई। मंदिरों में अब 40 दिन तक ठाकुरजी का फाग महोत्सव के मनेगा। महाप्रभु की बैठक के ट्रस्टी नागर ने बताया कि सभी पुष्टिमार्गीय हवेलियों में बसन्त पंचमी मनाई गई। रविवार से गर्म सामग्री (सोंठ) बंद हो जाती है। अदरक नींबू और गुड़ की सामग्री ठाकुरजी को नहीं चढ़ाई जाती है। साथ ही पालन के दर्शन, डोल तक बंद हो जाते है। ठाकुरजी को ग्वाल या श्रृंगार में फाग खिलाया जाता है। ठाकुरजी को सफेद सूती वस्त्र पहनाएं जाते हैं। हवेलियों की खिड़की पर लगाई गई रजाई हटा दी है। 20 फरवरी को ठाकुरजी के पांव के मोड़ हटा दिए जाएंगे। कुंज एकादशी,10 मार्च को केसुडी के फूलों को सुखाकर गीला रंग बनाकर होली खेली जाएगी।
 
रेवती नक्षत्र, शुभ मांतग योग में मनेगी बसंत पंचमी
ज्योतिर्विद पं अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार रेवती नक्षत्र, शुभ मांतग योग में सोमवार को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। मातंग योग एक शुभ योग है। मातंग योग में दान करने से इंद्र के समान सुख मिलता है। तिब्बती बौद्ध धर्म में मातंग शब्द का आशय हाथी के लिए होता है। चक्रसंवर समाधि के दौरान मातंग का इस्तेमाल किया जाता है। चक्रसंवर समाधि, नेपाल में नेवाह महायान-वज्रयान बौद्धों की मुख्य पूजा और साधना पद्धति है।

पं.व्यास ने बताया कि जब शुक्र और चंद्रमा एक साथ आते हैं, तो यह कलात्मक योग बनता है। इस योग से लोगों के अंदर रचनात्मकता बढ़ती है और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। मां सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी कहा जाता है। बसंत पंचमी के दिन को अबूझ मुहूर्त पर उनकी पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन शिक्षा-परिक्षा आरंभ करना भी काफी शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन विद्यारंभ/संगीत शिक्षा आरंभ के लिए संस्कार किया जाता है। हिंदू धर्म में हर माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती का अवतरण हुआ था।

 

Kolar News 3 February 2025

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