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शरीयत को लेकर मुस्लिम ख्वातिनों का जलसा सोमवार को इकबाल मैदान पर हुआ। इस जलसे में मुस्लिम महिलाओं को शरियत से जुड़े मामले समझाए गए। जलसे में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य असमा जेहरा मौजूद रहीं। शहर काजी मौलाना सैयद मुश्ताक अली नदवी ने कहा कि शरीयत मामले में कोई समझौता नहीं होगा। मुस्लिम महिलाएं शरीयत पर कायम रहेंगी। शहर काजी ने कहा कि निकाह इस्लामी तरीके से होना चाहिए। 5 मरहले पूरे नहीं होने पर तलाक नहीं दिया जा सकता। जलसे में शरीअत में महिलाओं का दर्जा बताया गया। मुस्लिम महिलाओं ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया है, जिसमें महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरुक किया जाएगा।
इसके पहले रविवार को तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की पहली बैठक में देशभर से आए सदस्यों ने हिस्सा लिया। खानूगांव स्थित इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज में रविवार को दिनभर चली बैठक के बाद बाहर निकले सदस्यों से जब उनकी राय जाननी चाही गई तो नवदुनिया से चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने खुलकर अपनी बात रखी।
सभी सदस्य तीन तलाक के गलत उपयोग को लेकर एक मत नजर आए। उनका कहना था कि शरिअत में तीन तलाक वाजिब है, लेकिन उसके तरीका है। जिसे अपनाए बगैर तीन तलाक दिया जाना गलत है। लेकिन, समाज में फैली इस प्रवृत्ति को किसी कानून से नहीं रोका जा सकता। इसके लिए लोगों को समझाइश के माध्यम से जागरूक करना होगा। बोर्ड का जोर भी इसी मसले पर है। लोगों को समाइश देने के लि देशभर में अभियान चलाया जाएगा।
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