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नई दिल्ली । केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक देश एक चुनाव’ से जुड़े विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है। सरकार इसे अगले सप्ताह संसद में पेश कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आज इसे मंजूरी प्रदान की गई। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 18 सितंबर को ‘एक देश, एक चुनाव’ से जुड़ी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी प्रदान की थी। समिति ने देश में केन्द्र, राज्यों और स्थानीय निकायों के एक साथ चुनाव कराने से जुड़ी व्यवस्था पर अपनी सिफारिशें प्रदान की थीं। केन्द्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने उस समय जानकारी दी थी कि सरकार इस विषय पर व्यापक समर्थन जुटाने का प्रयास करेगी और समय आने पर इस पर संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि विभिन्न राजनीतिक दलों और बड़ी संख्या में पार्टियों के नेताओं ने वास्तव में एक देश एक चुनाव पहल का समर्थन किया है।
उल्लेखनीय है कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते रहे हैं। वर्ष 1999 में विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि पांच साल में लोकसभा और सभी विधानसभाओं का एक चुनाव होना चाहिए ताकि देश में विकास होता रहे। संसदीय समिति ने 2015 में अपनी 79वीं रिपोर्ट में सरकार से दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के तरीके सुझाने को कहा था। मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। समिति ने इस संबंध में विभिन्न पार्टियों और हितधारकों से इस पर विचार किया और पिछली सरकार के दौरान ही अपनी सिफारिशें दीं। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि एक अवधि के बाद सभी राज्यों की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल छोटा कर एक साथ चुनाव करायें जायें। केन्द्र और राज्यों में चुनाव के थोड़े समय बाद ही नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव कराए जायें। बहुमत न मिलने और अल्पमत की स्थिति में दोबारा चुनाव कराए जाने पर कार्यकाल केवल बाकी बचे समय के लिए हो।
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