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भोपाल सहित प्रदेश के तमाम शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति 30 से 40 फीसदी रह गई है। ये खुलासा हाल ही में हुए 'मिल बांचें' कार्यक्रम में हुआ है। अब स्कूल शिक्षा विभाग शहरी क्षेत्र के स्कूलों की जांच कराने की तैयारी कर रहा है। सोमवार तक जांच के आदेश जारी हो सकते हैं। जांच की शुरूआत राजधानी के प्राइमरी स्कूल आंबेडकर नगर से होगी।
प्रदेश में 26 अगस्त को मिल बांचें कार्यक्रम हुआ था। इस दौरान अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और आयुक्त सहित 70 आईएएस अफसरों ने स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाया। इनमें से शहरी क्षेत्र के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में गए अफसरों में से ज्यादातर ने विभाग को फीडबैक दिया है कि स्कूलों में दर्ज छात्रों में से महज 30 से 40 फीसदी ही स्कूल आ रहे हैं। अफसरों ने छात्रों के एडमिशन में गड़बड़ी का संदेह भी जताया है। इसे देखते हुए विभाग के जांच कराने का फैसला ले लिया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया भोपाल के आंबेडकर नगर प्राइमरी स्कूल में गए थे। यहां दर्ज छात्रों में से 30 फीसदी भी उपस्थित नहीं थे। विभाग इसी स्कूल से मामले की जांच शुरू कर रहा है। इसके बाद राजधानी के उन स्कूलों की जांच कराई जाएगी, जहां से लगातार बच्चों के गैरहाजिर रहने की शिकायतें आ रही हैं। वहीं अगले चरण में संभाग स्तर पर जांच शुरू होगी। विभाग जांच रिपोर्ट आने के बाद ही तय करेगा कि किस पर क्या कार्रवाई की जाना चाहिए।
अफसरों ने शंका जाहिर की है कि शिक्षक तबादलों से बचने के लिए यह हथकंडा अपना रहे हैं। वे स्कूल में ज्यादा एडमिशन बता देते हैं। जबकि असल में उतने छात्र होते ही नहीं हैं। इसलिए उपस्थिति हमेशा 30 से 40 फीसदी के आसपास रहती है। कई बार 10 और 20 फीसदी तक आ जाती है। उल्लेखनीय है कि प्राइमरी स्कूल में दो और मिडिल में तीन शिक्षकों का सेटअप तय है। वहीं आरटीई कानून 30 छात्रों पर एक शिक्षक रखने की बाध्यता करता है। इसलिए शिक्षक तबादले से बचने के लिए ज्यादा एडमिशन बता देते हैं।
आयुक्त, लोक शिक्षण संचालनालय नीरज दुबे ने कहा कई अफसरों से फीडबैक मिला है। इसलिए मामले की जांच करा रहे हैं। आंबेडकर नगर स्कूल से जांच शुरू करेंगे। जैसी रिपोर्ट आएगी, उसके अनुसार कार्रवाई आगे बढ़ेगी।
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