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उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार के पास शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के खिलाफ भेदभाव पर कोई डेटा नहीं है। सामाजिक न्याय में एक कदम पीछे जब सरकार समस्या को मापने से भी इनकार करती है तो हम बदलाव की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? शैक्षणिक संस्थानों में एससी-एसटी के साथ होने वाले भेदभाव को दूर करने में मोदी सरकार की अक्षमता उजागर होती है। बिना डेटा के समाधान कैसे हो सकता है? यह विफलता हाशिए पर पड़े समुदायों के संघर्षों के प्रति उनकी उदासीनता को उजागर करती है। यह जवाबदेही और कार्रवाई का समय है।
इंडियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभानु ने इस अवसर पर एनएसयूआई के साथ अपने प्रेरक सफर को साझा किया और राष्ट्र को आकार देने में छात्र आंदोलनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में एनएसयूआई प्रभारी कन्हैया कुमार और एनएसयूआई अध्यक्ष वरुण चौधरी ने भी अपने विचार रखे।
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