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मप्र में 12 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसें चलाने पर रोक
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इंदौर । मध्य प्रदेश की सड़कों पर अब 12 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसें नहीं दौड़ सकेंगी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने प्रदेश में स्कूल बसों के हादसों को गंभीरता से लेते हुए गाइडलाइन जारी की है। बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि मध्य प्रदेश मोटर व्हीकल एक्ट-1994 में स्कूल बस रजिस्ट्रेशन, संचालन व प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान किया जाए। आरटीओ, डीएसपी-सीएसपी ट्रैफिक इन गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाएं।


कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि 12 साल पुरानी स्कूल बसें नहीं चलाई जा सकेंगी। बसों में स्पीड गर्वनर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य रूप से लगवाएं। ताकि पालक मोबाइल एप से ट्रैक कर सकें। उच्च न्यायालय में सात वर्ष पहले हुए दिल्ली पब्लिक स्कूल बस हादसे को लेकर चल रही अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए बुधवार देर शाम जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ ने यह फैसला सुनाया है और गुरुवार को मीडिया को जारी हुआ है।


कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मोटर व्हीकल एक्ट में भी स्कूल बसों के लिए अलग से कोई गाइडलाइन नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि जब तक मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर स्कूल बसों के लिए अलग से प्रावधान नहीं जोड़े जाते, तब तक कोर्ट खुद ही गाइडलाइन बना दे। इसमें 22 बिंदुओं को शामिल किया है। कोर्ट ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को गाइडलाइन का पालन करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है।


सात साल पहले हुई थी चार बच्चों की मौत
गौरतलब है कि इंदौर में सात साल पहले पांच जनवरी 2018 को डीपीएस की बस छुट्टी के बाद बच्चों को घर छोड़ने जा रही थी। शहर के बायपास रोड पर बस अनियंत्रित हो गई और डिवाइडर फांदते हुए दूसरे लेन में चल रहे ट्रक से जा टकराई। हादसे में चालक स्टियरिंग पर फंस गया। उसने वहीं दम तोड़ दिया। हादसे में चार बच्चों की भी मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य बच्चे घायल हो गए।


ऑटो में नहीं बैठा सकेंगे तीन से ज्यादा बच्चे
कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन में राज्य शासन को आदेश दिए गए हैं कि वह मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन करे। जब तक ऐसा नहीं होता यह गाइडलाइन लागू रहेगी। साथ ही उनका पालन कराने की जिम्मेदारी संबंधित जिले के आरटीओ और ट्रैफिक सीएसपी, डीसीपी की होगी। वहीं पीएस स्कूल शिक्षा विभाग, संबंधित जिले के कलेक्टर, एसपी इस मामले में ध्यान देंगे कि इनका पालन हो और इन गाइडलाइन को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके। आदेश में यह भी कहा गया है कि ऑटो में तीन से ज्यादा स्कूली बच्चे नहीं बैठेंगे। ड्राइवर सहित कुल चार ही सवारी होंगी।


अभिभावक मोबाइल एप पर देख सकेंगे बस की स्थिति
जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी ने गाइडलाइन के साथ ही आदेश दिए हैं कि हर सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल और निजी स्कूल, शैक्षणिक संस्थान में ऑनर, प्रिंसिपल व अन्य जिम्मेदार व्यक्ति हर बस के लिए एक व्हीकल इंचार्ज नियुक्त करेगा। जो बस के परमिट, लाइसेंस, फिटनेस ड्राइवर के क्रिमिनल रिकॉर्ड व अन्य बातों पर नजर रखेगा। कोई भी घटना होने पर उन्हें ही सीधे जिम्मेदार माना जाएग। हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिए हैं कि हर बस में सीसीटीवी और जीपीएस भी होना चाहिए। इससे अभिभावक मोबाइल एप पर हर बस की स्थिति देख सकें। बस में मेल, फीमेल टीचर भी होना चाहिए, जो बच्चों के बस में आने-जाने को देखेगा। ड्राइवर का लगातार मेडिकल चैकअप भी किया जाएगा।


मुआवजे का मुद्दा जनहित याचिका में नहीं उठाया जा सकता
इसके साथ ही बस दुर्घटना में मरने वालों और घायलों को उचित मुआवजा दिए जाने का मुद्दा भी जनहित याचिका में उठाया गया था। साथ ही प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई थी, लेकिन इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे का मुद्दा जनहित याचिका में नहीं उठाया जा सकता। इसलिए इस पर विचार नहीं किया जाएगा। जहां तक प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की बात है, तो उस समय पहले से ही मामला दर्ज था, इसलिए इन दो बिंदुओं पर विचार नहीं किया जा रहा है। लेकिन स्कूली बसों और ऑटो में बच्चों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जरूर जारी किए जा रहे हैं।


हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश का किया जाएगा पालन
इस संबंध में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि स्कूल बस के मामले में हाई कोर्ट के जो भी दिशा-निर्देश हैं, उनका पालन किया जाएगा।


कोर्ट की गाइडलाइन
- स्कूल बस को पीले रंग से रंगा जाएगा और वाहन के आगे और पीछे स्कूल बस या आन स्कूल ड्यूटी लिखवाना होगा। स्कूल बस के बाहर दोनों तरफ स्कूल के वाहन प्रभारी का नाम, पता एवं टेलीफोन, मोबाइल नंबर लिखा होगा। स्कूल बसों की खिड़कियों पर शीशों पर रंगीन फिल्म नहीं लगेगी। प्रत्येक स्कूल बस में फर्स्ट एड बाक्स और अग्निशमन यंत्र होगा। प्रत्येक स्कूल बस में आपात स्थिति से निपटने में प्रशिक्षित एक परिचारक होगा। ड्राइवर के पास स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस और पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए। ऐसे ड्राइवर जिन्होंने एक वर्ष में दो से ज्यादा बार सिग्नल जंप किया है, वे स्कूल बस नहीं चला सकेंगे। जिस व्यक्ति का तेज गति से या शराब पीकर गाड़ी चलाने का एक बार भी चालान बना है वह भी स्कूल बस नहीं चला सकेगा। स्कूल प्रबंधन इस संबंध में ड्राइवर से शपथ पत्र लेगा।

प्रत्येक स्कूल बस में सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की जगह होगी। प्रत्येक बस में स्पीड गवर्नर लगा होगा। स्कूल बस में दाहिनी ओर एक आपातकालीन दरवाजा और गुणवत्ता वाला लाकिंग सिस्टम होगा। प्रेशर हार्न नहीं लगाया जाएगा। रात में स्कूल बसों के अंदर नीले बल्ब लगाना होंगे। कोई भी स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी। छात्रों को लाने-ले जाने में लगे आटो में चालक सहित चार से अधिक व्यक्ति नहीं बैठ सकते हैं। प्रत्येक स्कूल बस में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और एक सीसीटीवी कैमरा होगा। अभिभावक वाहन को मोबाइल एप के माध्यम से ट्रैक और देख सकेंगे।

 

Kolar News 5 December 2024

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