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भाई-बहन के अटूट स्नेह के पर्व रक्षाबंधन (7 अगस्त) पर इस बार भद्रा के साथ ही इस बार चंद्रग्रहण का साया भी रहेगा। ग्रहण का सूतक लगने के कारण दोपहर में 1 बजकर 52 मिनट के बाद रक्षासूत्र बांधना निषेध रहेगा, लेकिन ज्योतिषियों के मुताबिक रक्षाबंधन पर इस बार पाताल में मौजूदगी रहने के कारण राखी बांधने पर भद्रा बेअसर रहेगी। अतः सूर्योदय से लेकर से लेकर दोपहर 1:52 बजे तक राखी बांधना शुभ रहेगा। रक्षाबंधन पर ग्रहण की स्थिति अब 2035 में पड़ेगी।
ज्योतिष पीठ संस्थान नेहरू नगर के संचालक पं.विनोद गौतम ने बताया कि रक्षाबंधन 7 अगस्त को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 6 अगस्त को रात 9ः49 बजे से शुरू हो जाएगी, जो 7 अगस्त को रात 10:55 बजे तक रहेगी। इस बीच 6-7 अगस्त की दरमियानी रात 2:35 बजे से श्रवण नक्षत्र शुरू हो जाएगा। 7 अगस्त को सुबह सूर्योदय से लेकर सुबह 11:04 मिनट तक भद्रा है।
लेकिन इस बार भद्रा का निवास पाताल में रहने के कारण उसका रक्षाबंधन पर असर नहीं रहेगा। लेकिन दोपहर को 1:52 बजे से चंद्रग्रहण का सूतक प्रभावी हो जाएगा। इसलिए राखी बांधना निषेध रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा का भी कहना है कि पाताल में रहने के कारण इस बार भद्रा का असर राखी बांधने में नहीं रहेगा।
पं.विनोद गौतम के मुताबिक पूर्णिमा के साथ श्रवण नक्षत्र रहने के कारण 7 अगस्त का ब्रह्म मुहुर्त में श्रावणी उपाकर्म करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसके अतिरिक्त राखी बांधने के लिए 7 अगस्त को सुबह 9:53 से सुबह 10:30 बजे तक और अभिजीत मुहुर्त में सुबह 11:45 से दोपहर 12:45 बजे तक शुभ मुहुर्त है।
पं.गौतम के मुताबिक चंद्र ग्रहण का सूतक 7 अगस्त को दोपहर 1:52 बजे से लगेगा। रात 10:54 बजे ग्रहण का स्पर्श होगा। रात 11:52 बजे मध्य में होगा। रात 12:49 बजे मोक्ष होगा। ग्रहण काल में देव प्रतिमाओं का स्पर्श नहीं करना चाहिए। किसी तरह का हवन आदि नहीं करना चाहिए। इस दौरान सिर्फ मानसिक संकीर्तन करते रहना चाहिए। ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान, दान, पूजन करना चाहिए।
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