Video

Advertisement


बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में तीन दिन में 10 हाथियों की मौत
bhopal,  elephants died , Bandhavgarh Tiger Reserve

भोपाल । मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गुरुवार को दो और हाथियों ने दम तोड़ दिया। यहां बीते तीन दिन में 10 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें गुरुवार दोपहर में 9वें और शाम को दसवें हाथी की मौत हुई है। मामले में एसटीएफ की टीम डॉग स्क्वॉड की मदद से मामले की जाच में जुटी है। घटनास्थल से पांच किमी के दायरे में छानबीन की जा रही है। वेटरनरी डॉक्टरों का कहना है कि मौत का कारण फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा।

 

दरअसल, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो दिन पहले 29 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे सलखनिया, खतौली और पतोर रेंज की सीमा पर खुले मैदान में 300 मीटर के दायरे में 10 हाथी पड़े हुए मिले थे। सूचना मिलने पर बांधवगढ़ की टीम मौके पर पहुंची और जांच की गई तो उनमें चार हाथी मृत पाए गए थे, जबकि छह की हालत गंभीर थी। बांधवगढ़ की टीम ने बीमार हाथियों का इलाज शुरू किया, लेकिन 30 अगस्त को चार हाथियों ने दम तोड़ दिया। वहीं, दो हाथियों की मौत गुरुवार को हो गई। इस प्रकार हाथियों की मौत का आंकड़ा 10 हो गया है।

 

वेटरनरी डॉक्टरों ने बताया कि 13 हाथियों का एक झुंड सलखनिया गांव में एक किसान के खेत में पहुंचा था। इस खेत में कोदो की फसल लगी थी, जिसमें से कुछ फसल की कटाई हो चुकी थी और वो खेत में ही सूखने के लिए पड़ी थी। कुछ हिस्से में हरी कोदो लगी हुई थी, वहां हाथियों का मूवमेंट नजर आया था।

 

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पी.के. वर्मा ने बताया कि हाथियों के जमीन पर पड़े होने की जैसे ही जानकारी मिली, सारे रेंज ऑफिसर के साथ हम मौके पर पहुंच गए। हमने सारे डॉक्टरों को भी तुरंत बुला लिया। बीते मंगलवार को 13 हाथियों के झुंड में से चार हाथियों की मौत हो चुकी थी। हम रात भर डॉक्टर के साथ बाकी हाथियों को बचाने के लिए इलाज कर रहे थे, लेकिन रात में अलग-अलग समय पर तीन और हाथियों की मौत हो गई। एक हाथी की मौत बुधवार दोपहर में हुई। गुरुवार शाम तक दो अन्य हाथियों की भी मौत हो गई।

 

उन्होंने बताया कि घटना के बाद फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर और उसके आसपास के कुछ किलोमीटर के दायरे में जांच की। आसपास के जलाशय की जांच भी की, हमें कुछ भी जहरीला पदार्थ नहीं मिला। यूरिया खाने के भी कोई संकेत नहीं मिले हैं। हाथियों के मुंह से झाग और यूरिया की गंध नहीं आ रही थी। कई हाथियों की मौत काफी देर बाद हुई, इसलिए सल्फास की भी संभावना कम है। हाथियों का पोस्टमार्टम करके उन्हें दफनाया जा रहा है।

Kolar News 1 November 2024

Comments

Be First To Comment....

Page Views

  • Last day : 8796
  • Last 7 days : 47106
  • Last 30 days : 63782
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.