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धार्मिक मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों के हाथ में होना चाहिए: स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद
gangtok, Management , religious temples

गंगटोक । जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि धार्मिक मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों के हाथ में होना चाहिए और सरकारों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

 

सिक्किम की दो दिवसीय यात्रा पर आए परम पूज्य महाराज बुधवार को राजधानी गंगटोक के ठाकुरबाड़ी मंदिर में संवाददाताओं से वार्ता कर रहे थे। विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में भक्तों को मिलावटी प्रसाद वितरण का जिक्र करते हुए परम पूज्य महाराज ने कहा, 'धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेने वाली सरकारें हमारे मंदिरों में व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रही हैं। धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेने के बाद धर्म की शपथ पूरी नहीं की जा सकती। ये दो अलग-अलग विषय हैं।'

 

उन्होंने कहा कि तिरुपति में जो हुआ उसके बाद अब हम चाहते हैं कि हमारे धार्मिक मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों के हाथ में हो। सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सरकार को वहां व्यवस्था करनी है तो यात्रियों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करें। हम इसे स्वीकार करते हैं। मंदिरों में पूजा, भोग, आरती, उत्सव आदि के बारे में शास्त्र जो कहते हैं, उसमें सरकार का हस्तक्षेप हम स्वीकार नहीं करना चाहते।'

 

महाराज ने कहा कि देश के हिंदू जो तिरूपति का प्रसाद ग्रहण करते हैं, वे अभक्ष्य भोजन के कारण मन में ग्लानि लेकर बैठे हैं, लेकिन गाय हमें इससे मुक्ति दिला सकती हैं। उन्होंने कहा कि देशी नस्ल की वेदलक्षणा गाय के दूध, दही, घी, गोबर और मूत्र को अनुपात के अनुसार मिलाकर लेने से शरीर के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस कारण भी गायों की रक्षा का संदेश लेकर 'गौध्वज स्थापना भारत यात्रा' पर निकले हैं।

Kolar News 25 September 2024

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