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उज्जैन । शनिवार को श्रावण महोत्सव में शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य से भगवान् महाकाल की स्तुति होगी। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के इस वर्ष के पांचवे आयोजन में शनिवार 24 अगस्त को प्रख्यात कलाकार प्रस्तुति देंगे।
श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के प्रशाशक गणेश धाकड़ ने बताया कि इस आयोजन में शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य से भगवान् श्री महाकालेश्वर की वंदना में राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देकर महाकाल आराधना करेंगे |
कला साधकों के इस प्रस्तुति समागम के चौथें शनिवार को पुणे की सुश्री सानिया पाटनकर का शास्त्रीय गायन, नईदिल्ली के ऋषितोष एवं समूह का ताल वाद्य कचहरी तथा उज्जैन की डॉ. अंजना चौहान के कथक नृत्य प्रस्तुति होगी |
कलाकार परिचय
* पुणे की सुश्री सानिया पाटनकर ने 6 साल की अल्पायु में स्वर्गीय लीलाताई घरपुरे से शास्त्रीय गायन सीखना प्रारम्भ किया। उन्होंने 14 वर्ष तक प्रख्यात गुरु डॉ. अश्विनी देशपाण्डे से 'जयपुर अतरौली घराने' में प्रशिक्षण प्राप्त किया और सानिया उनकी वरिष्ठ शिष्या हैं। डॉ. अरविंद थट्टे के कुशल मार्गदर्शन में संगीत शास्त्र सीखा और 'टप्पा' गायकी पर भी मार्गदर्शन प्राप्त किया। सानिया संगीत विशारद के साथ ही एम.कॉम (स्वर्ण पदक) और दूरदर्शन और आकाशवाणी की 'ए' ग्रेड कलाकार हैं। सानिया को केंद्रीय सरकार की छात्रवृत्ति, दादरमतुंगा केंद्र गुरु शिष्य परम्परा, गणवर्धन, पुणे जैसी छात्रवृत्तियां प्राप्त हुई हैं।
*नई दिल्ली के श्रीकुमार ऋषितोष एक मान्यता प्राप्त कलाकार, गुरु, लेखक, शिक्षाविद हैं। आपने गुरु-शिष्य परम्परा में बनारस घराने के एक महान तबला वादक पं.छोटेलाल मिश्रा से प्रशिक्षण प्राप्त किया। आप शास्त्रीय और जैस संगीत में विश्व प्रसिद्ध कलाकारों के साथ अनेकों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन किया। उन्हें कई पुरस्कार मिले है जिसमे ताल मणि, तबलावाद्य शिरोमणि, संगीत रत्न, ताल गौरव, जूनियर और सीनियर फेलोशिप पुरस्कार संस्कृति मंत्रालय, आदि सम्मिलित है। आपने साथ मनोज सोलंकी पखावज, राजीव रंजन ढोलक एवं परकशन पर तबला पर मास्टर प्रिशु , घनश्याम सिसौदिया सारंगी पर सहयोग करेंगे |
* दिल्ली के सुप्रसिद्ध तबला वादक डॉ. कुमार ऋषितोष द्वारा संयोजित एवं संचालित ’ताल वाद्य कचेहरी’ (पंच महानाद) की प्रस्तुति में वादक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नाद की वह आभा है जिसमे विभिन्न छंदों, जातियों, अध्यात्मिक परणों एवं पारंपरिक रचनाओं का भी दर्शन है। तबला व पखावज के नाद से गणेश परण, शिव माहेश्वर तिहाई परण, शिव तांडव स्तोत्र, उठान, बांट, रेला, गत, मेघ परण, एवं अंताक्षरी परण, (बजन्त पढंत) इत्यादि शास्त्रीयता के साथ लोक वाद्य ढोलक भी अपने अस्तित्व में है। वहीं आधुनिकता में परकशन (ऑक्टापैड) को भी स्थान दिया गया है। पूरे प्रस्तुतियों में विभिन्न वादकों द्वारा लय संवाद भी है जो काफी आकर्षक है।
* उज्जैन की डॉ.अंजना चौहान, जयपुर घराने की कथक नृत्यांगना है आपने पं. राजेंद्र प्रसाद आर्य के सानिध्य में कथक नृत्य की शिक्षा ग्रहण की है | आपने एम.ए. डिग्री कथक नृत्य डॉ.सुचित्रा हरमलकर रायगढ़ घराना के सानिध्य में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से प्राप्त की है, साथ ही पी.एच.डी. डॉ.इब्राहिम अली के सानिध्य में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से प्राप्त की है अपने कथक नृत्य में प्रभाकर, प्रवीण प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद, कथक अलंकार गन्धर्व महाविद्यालय मण्डल, मुंबई और कलारत्न राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय ग्वालियर से भी किया है I आपने अनेकों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को सम्मोहित किया है I
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