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एनजीटी के आदेश की आड़ में निगम प्रशासन कलियासोत नदी के किनारे रहने वाले लोगों को परेशान करने में जुट गया है। भवन अनुज्ञा शाखा द्वारा सुनवाई की तारीख निकल जाने के चार दिन बाद घरों में नोटिस चस्पा किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि निगम लोगों का पक्ष सुने बिना ही एक तरफा कार्रवाई करने की तैयारी में है।
दरअसल, कलियासोत नदी के ग्रीन बेल्ट के 33 मीटर दायरे में आने वाले मकानों को चि-ति कर नगर निगम रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इसके लिए लोगों को नोटिस जारी कर भवन संबंधी दस्तावेज बुलाए जा रहे हैं, इसके बाद सुनवाई की जा रही है। गत 8 नवंबर 2016 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निगम को 12 जुलाई 2017 तक रिपोर्ट देने की मोहलत दी थी। लेकिन 7 महीने में भी कुछ नहीं हुआ। 12 जुलाई को सुनवाई की तारीख थी, इसलिए जल्दबाजी में निगम ने ऐसे नोटिस जारी कर दिए, जिनकी सुनवाई की ही तारीख निकल चुकी है।
सर्वधर्म ए सेक्टर के आश्रय अपार्टमेंट में रहने वाली अर्चना श्रीवास्तव के नाम पर फ्लैट क्रमांक एफ -310 में 11 जुलाई की शाम 6 बजे नोटिस चस्पा किया गया। भवन मालिक की बेटी सीता मंजरी ने बताया कि वह ऑफिस से लौटीं, तब तक कोई नोटिस नहीं था। शाम करीब 6 बजे नोटिस चस्पा मिला। तब तक कार्यालय बंद हो चुके थे। फिर दूसरे दिन भवन अनुज्ञा शाखा में जाकर आपत्ति लगानी पड़ी।
इधर, बुधवार को एनजीटी में सुनवाई हुई। इसमें निगम की ओर से कहा गया कि अब तक सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है। इस पर ट्रिब्यूनल ने निगम प्रशासन को 10 दिन की अतिरिक्त मोहलत देते हुए सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। ज्ञात हो कि एनजीटी ने सर्वधर्म ए और बी सेक्टर के रहवासियों की याचिका पर 8 नवंबर 2016 को आदेश थे कि निगम विशेष अधिकारी नियुक्त करे और रहवासियों के दस्तावेज जांच कर बताए कि इन पर 33 मीटर का प्रकरण लागू होता है या नहीं।
हैरानी की बात तो ये है कि भवन अनुज्ञा शाखा की ओर से निगम की अपर आयुक्त मलिका निगम नागर ने 13 जून 2017 को नोटिस पर हस्ताक्षर किया था। निगम का शाहपुरा स्थित भवन अनुज्ञा शाखा सर्वधर्म से महज तीन किमी दूर है, लेकिन नोटिस को पहुंचने में 33 दिन का समय लग गया।
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