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सभी शासकीय एवं अनुदान प्राप्त प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में नव-गठित शाला प्रबंधन समितियों की पहली बैठक 15 जुलाई को होगी। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिला कलेक्टर को निर्देश जारी किये हैं।
प्रदेश में शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में बेहतर प्रबंधन और शैक्षिक गतिविधि के क्रियान्वयन के लिये शाला प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है। यह समिति बच्चों के शाला नामांकन, नियमित उपस्थिति, गुणवत्तायुक्त शिक्षा और अधोसंरचना के कार्यों के साथ बच्चों के बहु-आयामी विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी। शाला प्रबंधन समिति में बच्चों के पालक, शाला के प्रधान शिक्षक, वरिष्ठतम महिला शिक्षिका, स्थानीय वार्ड के पंच और वार्ड की एक महिला पंच को शामिल किया गया है। स्कूल के स्थानीय प्रबंधन के अधिकार इन समितियों को सौंपे गये हैं। प्राथमिक स्कूलों में 18 सदस्यीय और माध्यमिक स्कूलों में 16 सदस्यीय शाला प्रबंधन समिति गठित की गयी है।
प्रदेश में एक लाख 14 हजार से अधिक प्रायमरी और मिडिल स्कूल में समिति का गठन किया गया है। इन समितियों का कार्यकाल दो साल निर्धारित किया गया है। प्रदेश में एक जुलाई को शाला प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है। समुदाय की सक्रिय सहभागिता से शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षकों एवं बच्चों की नियमित उपस्थिति की प्रतिदिन मॉनीटरिंग की जा सकेगी। समिति की बैठक में शाला में अनियमित उपस्थिति वाले बच्चों की जानकारी को सामने रखते हुए शाला में लाने के लिये कार्य-योजना तैयार की जायेगी। बच्चों की गुणवत्तायुक्त शिक्षा के नजरिये से शाला में अध्ययनरत बच्चों के हाल ही में सम्पन्न बेसलाइन टेस्ट की जानकारी भी समिति के सदस्यों को दी जायेगी। समिति के सदस्यों को प्रत्येक कक्षा एवं विषय के लिये निर्धारित लर्निंग आउटकम के बारे में भी बताया जायेगा।
स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों में गठित शाला प्रबंधन समितियों के सभी सदस्यों एवं अभिभावकों से 15 जुलाई को स्कूल पहुँचकर प्रबंधन समिति की बैठक में शामिल होने का आग्रह किया है।
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