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जबलपुर । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा को एक मामले की सुनवाई के दौरान न सिर्फ कड़ी फटकार लगाई है, बल्कि उनकी चिट्ठी लेकर कोर्ट पहुंचे एडीएम डीके सिंह पर भी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि इनके लिए सब कुछ कलेक्टर साहब हो गए। कलेक्टर के नाम की चिट्ठी लेकर आते हैं और कोर्ट में लहराते हैं।
दरअसल, हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नर्मदापुरम में जमीन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कलेक्टर सोनिया मीणा को हाजिर होने को कहा था, लेकिन कलेक्टर ने खुद आने की बजाय एडीएम के हाथों सीधे हाईकोर्ट जज के नाम एक चिट्ठी भेज दी। हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी अधिकारी अपनी बात सरकारी वकील के जरिए ही कोर्ट में रख सकता है, इस तरह सीधे जज को चिट्ठी नहीं भेज सकता। कोर्ट ने नर्मदापुरम कलेक्टर के इस रवैये पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात की है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि आखिर क्यों निर्देश के बावजूद कलेक्टर कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। कोर्ट ने कलेक्टर पर कार्रवाई को लेकर आदेश सुरक्षित रखा है।
दरअसल, नर्मदापुरम निवासी प्रदीप अग्रवाल और नितिन अग्रवाल का जमीन को लेकर विवाद था। विवाद नहीं सुलझा तो इसे लेकर प्रदीप अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नामांतरण की प्रक्रिया नए सिरे से करने का आदेश दिया था। आदेश के बाद जब वापस जमीन नामांतरण का केस नर्मदापुरम गया तो वहां पर नामांतरण की कार्यवाही नहीं कर सिवनी मालवा तहसीलदार ने दूसरे पक्ष नितिन अग्रवाल से बंटवारे का आवेदन रिकॉर्ड में लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी, जबकि हाईकोर्ट का आदेश था कि इसमें नामांतरण करना है, न कि बंटवारा।
इसके खिलाफ पक्षकार प्रदीप अग्रवाल ने रिवीजन आवेदन अपर कलेक्टर को सौंपा और बताया कि तहसीलदार की यह कार्यवाही हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है, जिसे सुधारा जाए। अपर कलेक्टर ने भी तहसीलदार की कार्यवाही को सही ठहराया और कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश का पालन हो रहा है। इसके चलते मामला दोबारा हाईकोर्ट पहुंचा, जहां याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ गुलाटी ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट का आदेश नामांतरण का था, जबकि तहसीलदार बंटवारा कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने सुनवाई की और शुक्रवार को नर्मदापुरम कलेक्टर को उपस्थित होकर जमीन के मामले को लेकर हुई कार्यवाही समझाने को कहा था।
मामले को लेकर नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना ने कहा कि नागद्वारी मेले की तैयारी के लिए जा रहे कर्मचारियों की जिप्सी दो दिन पहले खाई में गिरी थी और धूपगढ़ मार्ग पर लैंड स्लाइड हुआ है। एक अगस्त से मेला और नागद्वार यात्रा शुरू होगी। इसलिए मेले की व्यवस्था देखने के लिए पचमढ़ी मैं हूं। एडीएम और तहसीलदार को हमने हाईकोर्ट भेजा था। कोर्ट ने क्या कहा है, ये मैं एडीएम से बात करने के बाद ही बता पाऊंगी।
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