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भोपाल। इमाम हुसैन और उनके अनुयायी की शहादत की याद में बुधवार को मुस्लिम समुदाय का मातमी पर्व मोहर्रम प्रदेशभर में सादगी के साथ मनाया गया। मुस्लिम धर्मावलंबियों ने आशुरा की नमाज अदा कर अमन और शांति की दुआएं मांगी। इसके साथ ही प्रदेश के कई नगरों में ताजिए का जुलूस निकाला गया और कर्बला में ठंडा किया गया।
भोपाल में बुधवार शाम को मोहर्रम पर जुलूस निकाला गया। इस दौरान तकरीर में करबला की जंग के बारे में बताया गया। मातमी जुलूस में या हुसैन-या हुसैन की गूंज सुनाई दी। सैकड़ों ताजिये, बुर्राक, सवारियां, इस्लामी परचम के निशानों के साथ यह जुलूस शहर के कई इलाकों से होता हुआ वीआईपी रोड स्थित करबला पहुंचा।
पहला मातमी जुलूस फतेहगढ़ से शुरू होकर मोती मस्जिद चौराहे होते हुए करबला पहुंचा। इसके अलावा चार अन्य बड़े जुलूस अलग-अलग इलाकों से होते हुए पीर गेट इलाके में पहुंचे। ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी की तरफ से निकाले जाने वाले जुलूस में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इसके चलते ट्रैफिक भी डायवर्ट किया गया। कई इलाकों में भारी वाहन के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहा।
गौरतलब है कि मुस्लिम धर्म के दो बड़े समुदाय शिया और सुन्नी हजरत मुहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर मानते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने को मुहर्रम कहा जाता है। इसकी 10वीं तारीख यानी 10वीं मोहर्रम को मातम का त्योहार मनाया जाता है, क्योंकि मोहर्रम के दसवें दिन करबला की जंग में हजरत अली के बेटे हुसैन और साथियों की जान ले ली गई थी। तब से शिया समुदाय के लोग मोहर्रम मनाते हैं।
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