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उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सावन-भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी परंपरा के अनुसार ही निकाली जाएगी। राजाधिराज महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। सवारी में भक्तों को भगवान महाकाल के सुगमता से दर्शन हो सकें, इसके लिए कारवां में दो एलईडी वाहनों को शामिल किया जाएगा।
यह निर्णय गुरुवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह अध्यक्षता में हुई प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया। बैठक में सावन मास की दर्शन व्यवस्था से संबंधित कुछ अन्य निर्णय भी हुए हैं। कलेक्टर ने सदस्यों से चर्चा के बाद यह स्पष्ट किया कि मंदिर की पूजन व उत्सव परंपरा में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा।
भगवान महाकाल की सवारी अनादिकालीन परंपरा के अनुसार, पालकी में ही निकाली जाएगी। सावन में भगवान महाकाल के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। देश-विदेश से आने वाले दर्शनार्थी सुविधा से भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए कार्तिकेय व सभा मंडप में जल पात्र लगाए जाएंगे।
कांवड़ यात्री के लिए व्यवस्था श्रावण मास में देशभर से कांवड़ यात्री भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने उज्जैन आते हैं। कांवड़ियों को शनिवार, रविवार व सोमवार को भीड़ भरे दिनों को छोड़कर मंदिर के चार नंबर गेट से विशेष प्रवेश दिया जाएगा। इन तीन दिन अगर कांवड़ यात्री महाकाल दर्शन करने आते हैं, तो उन्हें सामान्य दर्शनार्थियों की कतार में लगकर दर्शन करने होंगे।
भस्मारती को लेकर ये व्यवस्था
श्रावण मास में शनिवार, रविवार व सोमवार को ऑनलाइन भस्म आरती की बुकिंग सुविधा ब्लाक रहेगी। इन दिनों में दर्शनार्थियों को मंदिर के भस्म आरती काउंटर से आफलाइन अनुमति प्राप्त करनी होगी। बैठक में महापौर मुकेश टटवाल, एसपी प्रदीप शर्मा समिति सदस्य महंत विनितगिरि महाराज, पंडित राम पुजारी, राजेंद्र शर्मा, प्रदीप पुजारी आदि मौजूद थे।
परंपरा कायम, ट्राले पर सवारी निकालने की उठ रही थी मांग
कुछ दिनों से शहर में सवारी की परंपरा में परिवर्तन करने की मांग लगातार उठाई जा रही थी। शहर के कुछ लोगों का कहना था कि पालकी में भगवान महाकाल के दर्शन नहीं हो पाते हैं, इसलिए भगवान को ट्राले, ट्रैक्टर अथवा बैलगाड़ी पर विराजित करके सवारी निकाली जाए। हालांकि प्रबंध समिति की बैठक में इन विषयों पर किसी प्रकार की चर्चा तक नहीं हुई।
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