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मध्यप्रदेश में साढ़े पांच सौ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिना डॉक्टर के हैं। पूरा स्टाफ और संसाधन होने के बाद भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। उधर, पीएससी से चयन होने के बाद भी 726 डॉक्टरों की सरकार पोस्टिंग नहीं कर पा रही है। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के तबादले के फेर में नए डॉक्टरों की पदस्थापना के लिए की जा रही काउंसलिंग रोक दी गई है। नए सिरे से काउंसलिंग के बाद उनकी पोस्टिंग की जाएगी। इसमें दो महीने का वक्त और लग सकता है।
लोक सेवा आयोग से 7 मार्च को चयनित डॉक्टरों की लिस्ट स्वास्थ्य विभाग को मिल गई थ्ाी। इन डॉक्टरों की पदस्थापना के लिए एमपी ऑनलाइन के जरिए ऑनलाइन काउंसलिंग की जा रही थी। अप्रैल-मई में रजिस्ट्रेशन और च्वाइस फिलिंग के बाद पदस्थापना की जानी थी, लेकिन पिछले हफ्ते पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया निरस्त कर दी गई है। इसके पीछे की वजह डॉक्टरों के तबादले बताए जा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों के तबादले के बाद अस्पतालों की जरूरत के लिहाज से नए डॉक्टरों की पोस्टिंग की जाएगी। इस तरह नए डॉक्टरों की पुरानी काउंसलिंग भी रद्द कर दी गई है। नई तारीख जारी होने के बाद नए सिरे से च्वाइस फिलिंग होगी। इस तरह करीब दो महीने ये भी ज्यादा समय पोस्टिंग में लग सकता है।
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के करीब 11 सौ पदों पर और भर्ती की जाएगी। इसके लिए शासन की ओर से लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजा जाएगा। 2015 में 1871 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें सिर्फ 726 डॉक्टर मिले हैं। बचे पदों के लिए फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।
सूत्रों ने बताया कि जिन 726 डॉक्टरों का चयन पीएससी से हुआ है। उनमें कई तो पहले से स्वास्थ्य विभाग विभिन्न् प्रोजेक्ट्स के तहत काम कर रहे हैं। करीब 80 डॉक्टरों का इस साल पीजी में चयन हो गया है। कुछ पीजी की तैयारी के लिए कोचिंग करने लगे हैं। इस तरह 726 डॉक्टर्स में से करीब 500 के ही ज्वाइन करने की उम्मीद है।
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