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बारिश के दौरान जंगल में बाघों की जान को खतरा बढ़ता देख वन विभाग ने अप्रशिक्षित स्थाई कर्मियों की मदद लेने का निर्णय लिया है। इन कर्मियों की ड्यूटी 1 जुलाई से पैदल गश्ती में लगाई जाएगी। ये स्थाई कर्मी अपनी-अपनी बीट में चौबीसों घंटे बाघ व अन्य वन्यजीवों पर नजर रखेंगे और संदिग्ध लोगों के जंगल मे दिखने व शिकारियों के सक्रिय होने की सूचना वन विभाग के अफसरों को देंगे। इस काम में इन कर्मियों की जान को भी खतरा हो सकता है क्योंकि इन्हें बाघ भ्रमण क्षेत्रों में गश्ती करने का प्रशिक्षण नहीं दिया है।
राजधानी से सटी समरधा व बैरसिया रेंज में बारिश के समय शिकारी सक्रिय हो जाते हैं। इन घटनाओं की रोकथाम के लिए रूटीन पेट्रोलिंग के अलावा इस बार वन विभाग ने बीटवार गश्त की व्यवस्था की है।
जिसमें दैनिक वेतन भोगी से हाल ही में स्थाई कर्मी बनाए गए 200 से अधिक कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। सबसे खास बात यह है कि इन कर्मियों को समूह में पैदल गश्ती करनी होगी। वन विभाग को कायदे से इन कर्मियों को पहले प्रशिक्षित करना चाहिए था लेकिन अभी तक प्रशिक्षण नहीं दिया है।
शिकार की घटनाओं में बढ़ोत्तरी के बावजूद भी अधिकारियों ने मुखबिर तंत्र अपडेट नहीं किया है। जिसका फायदा बारिश में शिकारी उठा सकते हैं। हालांकि पहली बार बनाए गए बाघ मित्र (जंगल से सटे गांव में रहने वाले चिन्हित ग्रामीण) शिकार की घटना और वनों की कटाई रोकने में मदद करेंगे।
डॉ. एसपी तिवारी कंजरवेटर फॉरेस्ट, सामान्य वन मंडल ने कहा स्थाई कर्मियों की मदद लेंगे, लेकिन उनका सहयोग पहले से बाघों की सुरक्षा करने वाला प्रशिक्षित स्टाफ करेगा। 1 जुलाई से पैदल गश्ती शुरू कर देंगे।
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