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शहरी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी मिशन के साथ ही दो साल पहले 25 जून को अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉरमेशन (अमृत) व हाउसिंग फॉर आल की लांचिंग की थी। अमृत में पानी सप्लाई, सीवेज, ट्रांसपोर्ट और हरियाली 15 प्रोजेक्ट्स के लिए अब तक की सबसे बड़ी रकम 931 करोड़ रुपए मंजूर किए है, लेकिन भूमिपूजन सिर्फ दो का ही हो पाया है। इनमें भी कोर्ट और डिजाइन की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया है। बाकी टेंडर प्रक्रिया में हैं। कुछ की सिर्फ आधी अधूरी डीपीआर बनी है, जिस पर फैसला होना बाकी है।
नगर निगम और प्रदेश सरकार ने पहले 1510 करोड़ रुपए के प्र्रस्ताव केंद्र को भेज दिए थे। बाद में पता चला कि इंसेटिव की रकम भी गलती से जुड़ गई। इस वजह से फिर से एक्शन प्लान बनाना पड़ा।
कोलार मेन ग्रेवटी लाइन बदलने का कामः अमृत के तहत 40 साल पुरानी हो चुकी कोलार मेन ग्रेवटी लाइन और फीडर लाइन को बदलने के लिए 162 करोड़ मंजूर हुए थे। निगम ने 136 करोड़ रुपए में एजेंसी का चयन किया। इसका भूमिपूजन भी हो गया। इसके तहत 20 किमी लंबी मेन ग्रेवटी पाइप लाइन और शहर के अंदर 60 किमी फीडर लाइन बदलना है।
पीडब्ल्यूडी और वन विभाग की एनओसी नहीं मिलने के कारण काम चालू नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कोलार रोड में रहवासी और विधायक रामेश्वर शर्मा के विरोध के कारण डिजाइन बदलने पर अड़े हैं। पाइप लाइन को कोलार रोड के बजाए बाहर से लाने की मांग हो रही है। इसमें कम से कम छह महीने और लगेंगे।
अपर आयुक्त नगर निगम एमपी सिंह पहले चरण में हमने पेयजल को शामिल किया है। कोलार पाइप लाइन और भौरी पेयजल योजना का काम शुरू हो चुका है। बाकी तालाबों के एसटीपी टेंडर प्रक्रिया में हैं। अब नालों की डीपीआर भी बनाई जा रही है। एक साथ रकम नहीं मिलने से जोन के हिसाब से डीपीआर बनाने के कारण प्रोजेक्ट में देरी होती है।
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