मिसाल बन गए सर्वधर्म के गायकवाड़ साहब
आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर पद से रिटायर हुए 80 वर्षीय विजय जी. गायकवाड़ को एक दिन पहले ही आभास हो गया था कि वे अब अधिक समय तक जीवित नहीं रहेंगे। इसी वजह से उन्होंने अपनी मौत से एक दिन पहले जवाहर चौक पर रहने वाली अपनी बेटी तृप्ति को फोन किया और कहा कि वह दो साल पहले भरे गए देहदान वाले फार्म की पावती लेकर घर आ जाए। रविवार देर रात श्री गायकवाड़ ने कोलार रोड सर्वधर्म ए-सेक्टर स्थित अपने घर में अंतिम सांस लीं और सोमवार सुबह उनकी इच्छा के मुताबिक परिजनों ने पार्थिव शरीर को गांधी मेडिकल कॉलेज में दान कर दिया।स्व. गायकवाड़ के पुत्र अरुण गायकवाड़ ने बताया कि करीब दस साल पहले मुंबई में रहने वाले उनके चाचा ने भी देह दान की थी। पिताजी इससे काफी प्रभावित हुए और इसके बाद ही उन्होंने देहदान का संकल्प लिया था। करीब दो साल पहले वे गांधी मेडिकल कॉलेज में देहदान के लिए फॉर्म ले आए थे। बीते कुछ दिनों से वे बीमार थे, लेकिन हमने कभी सोचा नहीं था कि वे हमे छोड़कर चले जाएंगे। वह एक दिन पहले तक बार-बार यही कहते रहे कि मौत के बाद उनकी देह, दान कर दी जाए। अरुण ने बताया कि पिताजी को पहले ही अपनी मौत का अहसास हो गया था। रविवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। अरुण के मुताबिक पिताजी से प्रभावित होकर परिवार के अन्य सदस्य भी देहदान का संकल्प ले रहे हैं। स्व. गायकवाड़ के परिवार में पत्नी कुसुम, तीन बेटे और एक बेटी हैं।