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कोलार के 30 प्रतिशत से ज्यादा हैंडपंप बंद पड़े हैं। कुछ पानी की कमी की वजह से बंद हैं, तो कुछ निगम प्रशासन की लापरवाही की वजह से। यदि इनमें समय रहते सुधार करवा दिया जाए तो कोलारवासियों के लिए भीषण गर्मी में बड़ी राहत देते, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बताया जा रहा है कि लंबे अरसे से इनको अनदेखा किया जा रहा है। जिस वजह से इनकी आज यह हालत हो गई है। नगर निगम प्रशासन ने विलय के बाद से आज तक इन हैंडपंपों की सुध ही नहीं ली। पानी को लेकर पहले ही यहां स्थिति ठीक नहीं है निगम अफसरों की लापरवाही का खामियाजा नागरिक भुगत रहे हंै।
हैण्डपम्पों का लेखाजोखा
कोलार की आबादी 03 लाख
उपनगर के अंतर्गत वार्ड 05 वार्ड
हैंडपंप की संख्या 210
खराब हैंडपंप हैं 50
कोलार उपनगर में वार्ड 80, वार्ड 81, वार्ड 82, वार्ड 83 और वार्ड 84 में लगभग 210 हैंडपंप लगे हैं। इनमें से करीब 50 हैंडपंप बंद हैं। कुछ हैंडपंप की चेन टूटने, नट-बोल्ट नहीं होने तो कुछ भूजल स्तर गिर जाने से लंबे समय से बंद पड़े हैं। जोनल अधिकारी, 18 के शैलेष चौहान ने बताया कि हेडपंप खराब होने की सूचना कहीं से नहीं मिली है।
उपनगर कोलार में अधिकांश हैंडपंप खराब हैं। इस कारण यहां के कबाड़ चोरों की नजर हैंडपंप में लगी हुई है। कई इलाकों के हैंडपंप के पुर्जे निकालकर कबाड़ चोरों ने मार्केट में बेच चुके हैं। गेंहूखेड़ा क्षेत्र में भी हैंडपंप बंद पड़ा है। बताया जाता है कि इस हैंडपंप से क्षेत्र के करीब तीन हजार लोग पानी भरते थे। प्रियंका नगर में कई सालों से बंद पड़ा हैंडपंप। इसकी मरम्मत के लिए रहवासी कई बार गुहार लगा चुके हैं। इसके बावजूद भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।
दिसंबर माह से भू-जल स्तर गिरना शुरू हो जाता है। गर्मी का मौसम आते-आते ही बोर सूख जाते हैं। इससे पानी के लिए लोगों की लंबी कतारें भी बढ़ने लगती हैं। लोग कोलार डेम का पानी भरने सुबह से ही कोलार पाइप लाइन के पास कतार में खड़े हो जाते हैं। कई अपार्टमेंट में रहने वाले कई लोग तक अपने वाहनों से अकबरपुर या स्वर्ण जयंती पार्क के सामने जाकर पानी भरते हैं। यदि प्रशासन इन हैंडपंपों को ठीक कर दे तो काफी हद तक पानी की समस्या दूर हो जाए।
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