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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन देने के केस में बाबा रामदेव और पतंजलि का माफीनामा फिर अस्वीकार कर दिया। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को 30 अप्रैल को फिर सुप्रीम कोर्ट में पेश होना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को विज्ञापन का साइज बड़ा करने और माफीनामा को हाई लाइट करने के लिए कहा ताकि लोगों को समझ में आए। सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हमने 67 अखबारों में माफीनामा दिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या अखबारों को दिया गया माफीनामा उतने ही साइज का है जितना बड़ा आप विज्ञापन देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई का दायरा बड़ा करते हुए कहा कि मामला सिर्फ एक संस्था (पतंजलि) तक सीमित नहीं रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि भ्रामक विज्ञापन के जरिए उत्पाद बेच कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली बाकी कंपनियों के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से पूछा कि एलोपैथी डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां अपने पर्चे में क्यों लिखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन से पूछा कि क्या जानबूझकर महंगी दवा लिखने वाले डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य की दवा लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को भी मामले में पक्षकार बनाया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल और इससे पहले दो अप्रैल को भी माफीनामा अस्वीकार कर दिया था। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि आपकी ओर से आश्वासन दिया गया और उसके बाद उल्लंघन किया गया। यह देश की सबसे बड़ी अदालत की तौहीन है और अब आप माफी मांग रहे हैं। यह हमें स्वीकार नहीं है। आप बेहतर हलफनामा दाखिल करें।
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