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धार। भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे का आज 18वां दिन है। एएसआई टीम और दोनों पक्षकारों ने सुबह करीब 8 बजे परिसर में प्रवेश किया। उनके साथ 19 सदस्यों और 33 मजदूरों की टीम है। टीम आज दीवार और हवन कुंड से मिट्टी हटा रही है।
भोजशाला के सर्वे के 18 वें दिन सोमवार को भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जिला पुलिस के आलाधिकारी हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। आज गर्भगृह में हवन कुंड के पास मिट्टी हटाने का काम हो रहा है। हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि कल अकल कुइयां का सर्वे हुआ है। यह अकल कुइयां ही राजा भोज द्वारा बनवाया गया सरस्वती कूप है। भोज द्वारा लिखी गई किताब चारु चर्या में इसकी जानकारी है। दक्षिण की तरफ इसका प्रवेश द्वार है। उत्तर की दीवार पर भगवान गणेश की आकृति बनी है।
शर्मा ने बताया कि इसका रास्ता दो गुंबदों के बीच से जाता था। 7 फीट नीचे 14 कोणीय अकलकुंय्या बनी है। इसे अब अकल कुइयां कहा जाता है। इसे पातालगंगा सरस्वती माना जाता था। इतिहासकार हरी भाऊ वाकणकर ने भी अपनी किताब में इसके बारे में लिखा है। वाकणकर भोजशाला आए थे और अकल कुइयां से राजा भोज द्वारा लिखा गया ताम्रपत्र और एक पत्थर जो सिर्फ सरस्वती नदी में ही मिलता है, निकालकर ले गए थे।
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