Advertisement
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाने की मांग खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये कोर्ट का काम नहीं, ये कार्यपालिका का काम है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून बताइए, जिसमें मुख्यमंत्री को पद से हटाने का प्रावधान हो। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई संवैधानिक विफलता है तो राष्ट्रपति या उप-राज्यपाल फैसला करेंगे। इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हमने आज ही अखबारों में पढ़ा है कि उप-राज्यपाल इस मामले की पड़ताल कर रहे हैं। उसके बाद ये राष्ट्रपति के पास जाएगा। हर काम के लिए अलग-अगल विंग है।
कोर्ट ने कहा कि हम ये समझते हैं कि कुछ व्यावहारिक परेशानियां हैं। हम इस पर आदेश क्यों जारी करें। हम राष्ट्रपति या उप-राज्यपाल को निर्देश नहीं दे सकते हैं। कार्यपालिका राष्ट्रपति शासन लगाती है। ये हमें बताने की जरूरत नहीं है। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। हम राजनीति में नहीं जा सकते। राजनीतिक दल इसे देखें। वे जनता के बीच जा सकते हैं, हम नहीं। उसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया।
यह याचिका सुरजीत सिंह यादव ने दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किए गए हैं। उन्हें सार्वजनिक पद पर नहीं रखा जाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल गोपनीयता की शपथ लेते हुए मुख्यमंत्री बने हैं। अगर वे जेल से शासन चलाते हैं और अगर कोई फाइल उनके पास जाती है तो वो कई जेल अधिकारियों से होकर गुजरेगी जो उनकी गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन होगा।
याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल ने संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन किया है और उन्हें खुद ही इस्तीफा देना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि केजरीवाल का पद पर बने रहना न केवल कानून के शासन में बाधा होगी बल्कि ये दिल्ली में पूरे तरीके से संवैधानिक मशीनरी के खत्म होने जैसा होगा। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद वे लोकसेवक के रूप में अपनी जिम्मेदारी का वहन नहीं कर सकते हैं इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए।
Kolar News
28 March 2024
All Rights Reserved ©2024 Kolar News.
Created By: Medha Innovation & Development
|