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कोलार से सटे जंगल में बाघों को भरपूर शिकार उपलब्ध कराने ग्रासलैंड (घास का मैदान) का काम शुरू हो गया है। समरधा रेंज के 10 हेक्टेयर रकबे में ग्रासलैंड तैयार किया जा रहा है ताकि शाकाहारी वन्यजीव चीतल, हिरण आदि की संख्या बढ़े। बारिश में चीतल की शिफ्टिंग भी होगी।
राजधानी से सटे समरधा रेंज समेत आसपास का ज्यादातर जंगल पथरीला है। कुछ में जगह झाड़ियां फैल गई हैं। इसके कारण ग्रासलैंड तैयार नहीं हो रहा है। घास की कमी के कारण शाकाहारी वन्यजीव चीतल, हिरण को पर्याप्त भोजन नहीं मिल मिलता। इसके चलते उनकी संख्या नहीं बढ़ रही है।
जंगल में शाकाहारी वन्यजीव चीतल, हिरण की कमी के कारण बाघों को पर्याप्त शिकार नहीं मिल पाता और वे आए दिन आबादी वाले क्षेत्रों में पहुंचकर मवेशियों का शिकार करते हैं। इन घटनाओं से बाघ और मानव के बीच संघर्ष की नौबत भी बन सकती है, जिसे रोकने के लिए ग्रासलैंड तैयार किया जा रहा है।
वन विहार नेशनल पार्क के करीब 35 एकड़ पहाड़ी क्षेत्र में भी ग्रासलैंड तैयार होना है। गर्मी में जगह चिन्हित की गई है जहां से हानिकारक प्रजाति की घास को उखाड़कर नष्ट किया जा चुका है। बारिश शुरू होते ही काम शुरू हो जाएगा।
राजधानी से सटे जंगल में 8 बाघों का मूवमेंट है। इनमें से बाघिन टी-123 और बाघ टी-121 लगातार केरवा, कलियासोत, मेंडोरा, बुलमदर फार्म के आसपास देखे जा रहे हैं। गर्मी में कई बार बाघों ने आबादी में पहुंचकर शिकार भी किया है। बाकी के बाघ रातापानी वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से सटे जंगल में घूम रहे हैं।
समरधा के रेंजर अरविन्द्र अहिरवार ने बताया ग्रासलैंड तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। पहली बारिश होते ही घास का बीज डाल देंगे। घास तैयार होने के बाद चीतल की शिफ्टिंग का प्लान भी है।
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