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कोलार में चार से पांच सदस्यों वाले एक परिवार को हर महीने 1200 से 1500 रुपए का पानी खरीदना पड़ रहा है। दूसरी ओर भोज यूनिर्वसर्टी के सामने 20 दिन से कोलार पाइप लाइन में लीकेज है, इसे सुधारने में निगम अधिकारी लापरवाह नजर आ रहे हैं।
गर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है, घरों के बोर भी सूखने लगे हैं। ऐसें में कोलारवासियों के सामने प्यास बुझाने का एकमात्र सहारा टैंकर ही बचें हैं। पीने के लिए 40 से 50 रुपए की 50 लीटर की एक केन खरीद रहे हैं, वहीं अन्य कामों के लिए 250 से 300 रुपए के प्रति टैंकर के हिसाब से पानी खरीदना पड़ रहा है।
करीब 100 निजी टैंकरों पर कोलार की 60 फीसदी आबादी निर्भर है। 20 फीसदी आबादी को ही नगर निगम के टैंकरों से पानी की सप्लाई हो पाती है। 5 फीसदी ऐसे लोग होते हैं जो कोलार पाइप लाइन में लीकेज से निकलने वाला पानी भरते हैं।
सीएम और विधायक भी नहीं दिला सकें समस्या से निजात।
लोगों की शिकायत है कि पार्षद से लेकर क्षेत्रीय विधायक और मुख्यमंत्री तक क्षेत्र की पानी की समस्या से निजात नहीं दिला सके। क्षेत्रीय विधायक रामेश्वर शर्मा ने पूरा दोष नगर निगम के ऊपर थोप दिया है। उनका कहना है कि नगर निगम अधिकारी सीएम की घोषणाओं और पानी की किल्लत की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि हकीकत यह है कि न विधायक को और न पार्षदों को इस कोलार की चिंता है ,जब विधायक ,पार्षद चैन की नींद सो रहे हैं तो नगर निगम भी हाथ पर हाथ रखे बैठा है।
नगर निगम के जोनल शैलेष चौहान अधिकारी लीकेज सुधारने के लिए एक अलग से टीम है, जो सुधार कार्य करती है, आज ही टीम को भेजता हूं।
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