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झाबुआ। लोक संस्कृति के पर्व भगोरिया हाट बाजारों की शुरुआत सोमवार से हो गई है। आने वाला एक सप्ताह बड़ा ही धूम धड़ाकेदार होने वाला है। बाजार सजे हैं तथा ग्रामीण जनों में हर्षोल्लास का शानदार वातावरण देखा जा रहा है, ऐसे में व्यापारी वर्ग भी बहुत आशान्वित हैं। इसलिए होली के पहले लगने वाले इन हाट बाजारों में अच्छी रंगत देखी जा सकेगी। इस वर्ष फसलों की पैदावार अच्छी है और लाडली बहनों की जेब भी भरी हुई है, इसलिए इन भगोरिया हाट बाजारों या मेलों में खूब रंग बिखरेगा।
झाबुआ और अलीराजपुर जिले में जिले में पहला भगोरिया हाट पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बेड़ावा आलीराजपुर, चंद्रशेखर आजाद नगर और बड़ागुड़ा में लग रहा है। इसके साथ ही आगामी पूरे सप्ताह हाट बाजारों में भगोरिया की मौज मस्ती देखने को मिलेगी और आने वाले सादर दिनों तक हाट बाजारों में ढोल मांदल की कर्ण प्रिय ध्वनि गुंजायमान होती रहेगी, साथ ही इस शानदार संगीत की ध्वनि के बीच लयबद्ध रुप से थिरकते युवाओं की उत्सवी टोलियों को भी देखा जा सकेगा। बाजार कुछ दिन पूर्व से ही सजने लगे थे और भगोरिया का उत्साह और तैयारियां देखी जा रही थी। ऐसे में निश्चित रूप से इस वर्ष के भगोरिया हाट जोरदार रहेंगे।
झाबआ और आलीराजपुर में कब, कहां लगेगा भगोरिया मेला
सोमवार 18 मार्च पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बेड़ावा आलीराजपुर, चंद्रशेखर आजाद नगर और बड़ागुड़ा।
मंगलवार 19 मार्च पिटोल, खरड़ू बड़ी, थांदला, तारखेड़ी व बरवेट, बखतगढ़, आंबुआ और अंधारवड़।
बुधवार 20 मार्च उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोड़ायता, चांदपुर, बरझर, बोरी, खट्टाली, कल्याणपुरा, मदरानी और ढेकल।
गुरुवार 21 मार्च पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई, चेनपुरा, फूलमाल, सोंडवा और जोबट।
शुक्रवार 22 मार्च भगोर, बेकल्दा, मांडली, कालीदेवी कट्ठीवाड़ा, वालपुर और उदयगढ़।
शनिवार 23 मार्च मेघनगर, राणापुर, बामनिया, झकनावदा, बलेड़ी नानपुर और उमराली।
रविवार 24 मार्च झाबुआ, ढोलियावाड़, रायपुरिया, काकनवानी, छकतला, सोरवा, आमखूंट, झीरण, कनवाड़ा और कुलवट।
काम पर गए ग्रामीण लौट आए हैं अपने घर, गांव
भगोरिया ऐसा उत्सव है, जिसमें सम्मिलित होने के लिए अंचल का आदिवासी देश के किसी भी कोने में क्यों न हो, अपने गांव लौट आता है। जिले से बड़ी संख्या में आज भी जिले के ग्रामीणजन मजदूरी हेतु मध्यप्रदेश के शहरों सहित सीमावर्ती गुजरात, राजस्थान व महाराष्ट्र राज्य के शहरों जाते हैं, किंतु भगोरिया हाट के पूर्व इनके अपने घर गांव आने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
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