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कन्याकुमारी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को यहां कहा कि डीएमके तमिलनाडु के भविष्य की ही दुश्मन नहीं है, वह तमिलनाडु के अतीत और विरासत की भी दुश्मन है। उन्होंने कहा, "मैं अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले यहां आया था। मैंने यहां के प्राचीन तीर्थों के दर्शन किए थे, लेकिन डीएमके ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखने तक पर रोक लगाने का प्रयास किया। सुप्रीम कोर्ट को तमिलनाडु सरकार को कड़ी फटकार लगानी पड़ी थी।"
प्रधानमंत्री ने भाजपा की विशाल जनसभा में कहा, "जब दिल्ली में संसद की नई इमारत बनी तो तमिल संस्कृति के प्रतीक, इस धरती के आशीर्वाद स्वरूप पवित्र सेंगोल को हमने नए भवन में स्थापित किया, लेकिन इन लोगों ने इसका भी बॉयकॉट किया, उन्हें सेंगोल की स्थापना पसंद नहीं आई। डीएमके और कांग्रेस तब भी चुप बैठी रही, जब जल्लीकट्टू पर पाबंदी लगी थी। ये लोग तमिल संस्कृति को नष्ट करना चाहते हैं। ये हमारी सरकार है। एनडीए की सरकार है। हमारी सरकार ने जल्लीकट्टू को पूरे उत्साह के साथ मनाए जाने का रास्ता साफ किया। जल्लीकट्टू तमिलनाडु का गौरव है।"
उन्होंने कहा कि सरकार तमिलनाडु के बंदरगाह बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए काम कर रही है। मैंने हाल ही में थूथुकुडी में चिदंबरनार बंदरगाह का उद्घाटन किया है। सरकार मछुआरों के कल्याण के लिए भी काम कर रही है। उन्हें आधुनिक मछली पकड़ने वाली नौकाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने से लेकर किसान क्रेडिट कार्ड योजना के दायरे में लाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कन्याकुमारी ने हमेशा भाजपा को भरपूर प्यार दिया है। इसलिए यहां का सत्तारूढ़ डीएमके-कांग्रेस गठबंधन कन्याकुमारी के लोगों को सजा देने का कोई मौका नहीं छोड़ता। 20 साल पहले अटल जी ने नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर की नींव रखी थी। इस कॉरिडोर के कन्याकुमारी-नारिक्कुलम ब्रिज का काम इन लोगों ने वर्षों तक लटका कर रखा। 2014 में जब भाजपा सरकार आई तब उसे पूरा किया गया।
उन्होंने कहा कि डीएमके और कांग्रेस का इंडी गठबंधन कभी भी तमिलनाडु को विकसित नहीं बना सकता। इन लोगों का इतिहास घोटालों का है। इनकी राजनीति का आधार लोगों को लूटने के लिए सत्ता में आना है। इंडी गठबंधन को लोग तमिलनाडु के लोगों के जीवन से खिलवाड़ के भी गुनहगार हैं। श्रीलंका में हमारे मछुआरे भाइयों को फांसी की सजा सुनाई गई, ये मोदी चुप नहीं बैठा। हर रास्ते का इस्तेमाल किया और हर प्रकार का दबाव बनाया और उन सभी मछुआरों को श्रीलंका से फांसी के फंदे से उतारकर वापस लाया गया।
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