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बारिश के मौसम में एक बार फिर सीवेज मैनेजमेंट का रूट क्लियर नहीं होने के कारण परेशानी बढ़ सकती है। राजधानी से जुड़ने वाले 13 गांवों और कोलार में अब राजधानी के सीवेज नेटवर्क सिस्टम की राह बदल रही है। इसके लिए अब फिर से नया सर्वे किया जाएगा और उसके बाद वर्कप्लान बनाया जाएगा।
शहर के सीवेज मैनेजमेंट को दुरूस्त करने के लिए नगर निगम द्वारा 200 करोड़ का प्लान बनाया जा रहा था। इसके चलते शहर का दायरा बढ़ने के बाद अब यहां के सीवेज सिस्टम के नेटवर्क को नए सिरे से जोड़ा जाएगा। नगर निगम ने अपने पिछले बजट 2015-16 में भौंरी से सीहोर नाके तक सीवेज नेटवर्क के लिए दो करोड़ का प्रावधान किया था। अब इस की समीक्षा की जाएगी कि इसमें कितना काम हुआ है और कितना बाकी है। राजधानी के आसपास बन रही नई कॉलोनियों में मकान और वहां की व्यवस्थाओं को भी अब निगम देखेगा। वहां के सीवेज नेटवर्क सिस्टम का रिव्यू होगा। जिस कॉलोनी को बने हुए कम से कम दो साल हुए हैं, उनमें से कई जगह सीवेज नेटवर्क सिस्टम पूरी तरह से खराब हो गया है। वहीं स्लम एरिया में जिन जगहों पर सीवेज के कारण दलदल बन जाता है उसको अलग से फोकस किया जाएगा। गौरतलब है कि अयोध्या बायपास, कटारा हिल्स के आसपास पंचायत के अधीन कॉलोनियों, जाटखेड़ी क्षेत्र में आने वाली कॉलोनियोंं के खुले मैदान में सीवेज पाइप खुले हुए हैं। बीच सड़क पर सीवेज भरने से लोगों को आने जाने में भी परेशानी हो रही है। इसी तरह से पुराने शहर का सीवेज सिस्टम भी गड़बड़ा गया है।
सीवेज सिस्टम को दुरूस्त करने के साथ ही बड़े तालाब में मिलने वाले नालों का मुंह मोड़कर उनकी गंदगी को सीवेज मास्टर प्लान के जरिए शहर से बाहर निकालने की योजना को एक बार फिर से क्रियान्वित करने की तैयारी है। 200 करोड़ से बनने वाले इस मास्टर प्लान में शहर के सीवेज मैनेजमेंट के लिए योजनाबद्ध तरीके से लागू करने से पहले भी सीवेज को मैनेज करने का प्लान बनाया जाएगा। शहर की झीलों और तालाबों को गंदगी से बचाने के लिए सबसे पहले यहां के सीवेज मैनेजमेंट नेटवर्क को मजबूत करना है। निगम के नगर यंत्री द्रव्य एआर पंवार का कहना है कि राजधानी का आकार बढ़ने के कारण अब इस संबंध में नए सिरे से प्लानिंग की जा रही है, ताकि आने वाले समय में ग्रीन एंड क्लीन भोपाल का सपना साकार किया जा सके।
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