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सीहोर। भगवान शिव की शिव महापुराण की कथा सुनने का सौभाग्य मिला है। शिव महापुराण की कथा भक्ति और मुक्ति कि यह पावन कथा संपूर्ण जगत का कल्याण करने वाली है, जगत का उद्धार करने वाली है। कुबेरेश्वरधाम की इस धरा से कथा का श्रवण करना एक साधना की तरह है। बाबा के घर आए हैं तो विश्वास रखे एक माह के अंदर ही आपकी पूजा सफल हो जाएगी।
यह विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में गुरुवार से आरंभ हुए रुद्राक्ष महोत्सव के पहले दिन शिव महापुराण के अवसर पर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यक्त किए। उन्होंने इस दौरान देवराज प्रसंग के माध्यम से शिव महापुराण कथा का महत्व बताया।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि तुलसी दल, जल, बेलपत्र तीनों चीजें हमारे व्रत, पूजन और साधना का प्रमाण है और हमारे मंत्र, हमारी साधना, तप का प्रमाण है। सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव, अनुग्रह यह पांचों कार्य महादेव के हैं। प्रथम चार कृत्य संसार का विस्तार करने वाले हैं। पांचवा कर्म अनुग्रह मोक्ष के लिए है। जो भगवान शिव का जाप प्रतिदिन करता है वह शिव कृपा का भागी होता है।
अमेरिका सहित अन्य देशों के श्रद्धालु आए
कथा के दौरान यहां पर अमेरिका से आए आस्थावान श्रद्धालु के बारे में चर्चा करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि अमेरिका जैसे आधुनिक देश में निवास करने वाले कथा का श्रवण करने आए हैं। इन्होंने बताया कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे, कथा के तप और रुद्राक्ष की महिमा से अब रोग से मुक्ति मिली है। यह पंडाल में फूलों की साज-सज्जा की है, यह पहले बाबा की पौथी पर माला चढ़ाने आते थे, कुबेरेश्वरधाम के कारण इनका कल्याण हुआ। इस तरह के अनेक प्रमाण भगवान शिव की भक्ति के लिए प्ररित करते हैं। आपको शिव की प्राप्ति के लिए भक्ति में संपूर्ण रूप से समर्पित भाव से करना होगा।
भगवान की कृपा नहीं होती तब तक मनुष्य एक कदम भी उनकी ओर नहीं बढ़ा सकता
पंडित मिश्रा ने कहा कि जब तक भगवान शंकर की कृपा नहीं होती तब तक मनुष्य एक कदम भी भगवान की ओर नहीं बढ़ा सकता। शिव पुराण कथा कहती है कि जब मनुष्य मां की कोख में होता है तो रक्त, जल में सना हुआ होता है और जब जन्म लेता है तो संसार के जितने सुख-दुख, धर्म कर्म है उनमें रमा हुआ होता है। अंतिम समय आता है तो वह भगवान का भजन करता है और प्राण छूटने पर भस्म में बदल जाता है। मनुष्य के अंतिम क्षण का समय बड़ा मूल होता है। अंतिम क्षण भक्ति में लगाओ तो शिवत्व अवश्य प्राप्त करोगे।
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि इस बार की महाशिवरात्रि बहुत ही ज्यादा खास मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। प्रदोष व्रत के अलावा इस दिन और भी कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा सुबह मंदिर परिसर में बने विशाल शिवलिंग की अर्चना की जाएगी, उसके पश्चात दोपहर में एक बजे से कथा, शाम को साढ़े छह बजे कथा और रात्रि में भजन गायक प्रस्तुति देंगे।
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